बरेली: चिताओं के लिए नहीं बची जगह, बनवाए जा रहे नए चबूतरे

बरेली: चिताओं के लिए नहीं बची जगह, बनवाए जा रहे नए चबूतरे

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की चपेट में आने से मृतकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि श्मशान स्थलों पर चिता के लिए जगह नहीं मिल रही। अब तो अंत्येष्टि के लिए चबूतरे की बजाय नीचे जमीन पर भी जगह नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की चपेट में आने से मृतकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि श्मशान स्थलों पर चिता के लिए जगह नहीं मिल रही। अब तो अंत्येष्टि के लिए चबूतरे की बजाय नीचे जमीन पर भी जगह नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

श्मशान स्थलों का यह मंजर देखने वालों के मुंह से यही निकल रहा है कि उन्होंने श्मशान स्थलों की ऐसी स्थिति न कभी देखी और न ही सुनी। उधर श्मशान स्थलों पर चिताओं के लिए जगह न मिलने पर प्रशासन ने शहर के चारों श्मशान स्थलों पर नए चबूतरे बनवाने का काम शुरू करा दिया है।

शहर के संजयनगर और सिटी श्मशान स्थलों पर सामान्य दिनों के मुकाबले तीन से चार गुना ज्यादा शव अंत्येष्टि के लिए आ रहे हैं। अंत्येष्टि के लिए अचानक शवों के आने की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ जाने से श्मशान स्थलों पर जगह काफी कम पड़ गई है। कुछ दिन पहले चिताओं को चबूतरे के बजाय जमीन पर रखकर जलाया जा रहा था लेकिन अब तो जमीन पर भी जगह बाकी नहीं रह गई है।

श्मशान स्थलों पर चारों तरफ चिताएं और उनसे उठतीं लपटें ही दिखाई दे रही हैं। श्मशान स्थलों पर दिनभर एक के बाद एक शवों को लाए जाने का सिलसिला जारी रहता है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि श्मशान स्थलों को विस्तारित करने का काम शुरू कर दिया गया है। संजयनगर श्मशान स्थल पर एक बड़ा चबूतरा बनाया जा रहा है, जहां एक साथ 15 से 20 तक शवों की अंत्येष्टि कराई जा रही है। यह काम जल्द से जल्द पूरा कराया जाना है।

इसी तरह सिटी श्मशान भूमि पर भी नए चबूतरे बनवाए जा रहे हैं। यहां गैस चालित शवदाह पहले ही शुरू कराया जा चुका है। जल्द ही विद्युत शवदाह गृह शुरू होने के बाद यहां भी शवों की अंत्येष्टि को लेकर आ रही दिक्कत खत्म हो जाएगी। इसी तरह गुलाबबाड़ी श्मशान स्थल पर भी नए चबूतरों के निर्माण कराए जा रहे हैं।

नगर निगम का चौथा अंत्येष्टि स्थल फिनिक्स मॉल के सामने छोटी बिहार में भी बना है। सौ फुटा व उसके आसपास के क्षेत्र से आने वाले शवों को संजयनगर की बजाय छोटी बिहार में बने श्मशान स्थल पर ले जाया जा सके, इसके लिए छोटी बिहार श्मशान स्थलों का भी विकास कराया जा रहा है। इसके बाद यहां अंत्येष्टि को लेकर पैदा हो रही दिक्कत खत्म हो जाएगी।

मौसम खराब होने पर जमीन पर नहीं जल सकेंगी चिताएं
मौसम खराब पर टीनशेड के नीचे चबूतरों पर शवों का दाह संस्कार किया जा सकता है लेकिन जमीन पर खुली जगह पर बारिश होने पर चिताओं को जलाना संभव नहीं हो सकेगा। आने वाले समय में ऐसी दिक्कत पैदा हो सकती है। इसे देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने श्मशान स्थलों पर बड़ी संख्या में नए चबूतरों को निर्माण कराए जाने की कोशिश की जा रही है।

“छोटी बिहार सहित शहर के चारों श्मशान स्थलों पर बड़ी संख्या में नए चबूतरों का निर्माण कराया जा रहा है। यह काम जल्द ही पूरा होगा। इसके बाद शवों की अंत्येष्टि को लेकर आ रही दिक्कत खत्म हो जाएगी।” -अजीत कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त