बरेली: छात्र नहीं तो परीक्षक का खर्च कैसे उठाएंगे

बरेली: छात्र नहीं तो परीक्षक का खर्च कैसे उठाएंगे

बरेली,अमृत विचार। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालयों में अधिकांश पाठ्यक्रमों की सीटें खाली रह गई हैं। किसी पाठ्यक्रम में चार तो किसी में पांच छात्र हैं। इनकी प्रयोगात्मक परीक्षा कराने के लिए परीक्षक बुलाना होता है। परीक्षक को सुविधाएं देना महाविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी होती है लेकिन कम छात्र होने से महाविद्यालय प्रशासन …

बरेली,अमृत विचार। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालयों में अधिकांश पाठ्यक्रमों की सीटें खाली रह गई हैं। किसी पाठ्यक्रम में चार तो किसी में पांच छात्र हैं। इनकी प्रयोगात्मक परीक्षा कराने के लिए परीक्षक बुलाना होता है। परीक्षक को सुविधाएं देना महाविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी होती है लेकिन कम छात्र होने से महाविद्यालय प्रशासन परेशान है।

कई महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालय के एक अधिकारी से भी इस संबंध में मुलाकात की है। प्रतिनिधियों ने अधिकारी से मांग की है कि कुछ महाविद्यालयों के छात्रों की एक साथ प्रयोगात्मक परीक्षा करा दी जाए जिससे परीक्षक का खर्च उठाया जा सके। परीक्षा नियंत्रक ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।

विश्वविद्यालय में अधिकारी के पास पहुंचे प्रतिनिधियों ने कहा कि पहले उनके महाविद्यालय में काफी संख्या में छात्र प्रवेश लेते थे। छात्रों की संख्या ठीक-ठाक होने पर बाहर से आने वाले परीक्षक का खर्च आसानी से निकल जाता था लेकिन अब अधिकांश विषयों में काफी कम छात्र हैं। अब महाविद्यालयों की सीटें नहीं भर पा रही हैं। बीएससी, एमएससी के फिजिक्स, केमिस्ट्री व अन्य विषयों की सीटें ही खाली हैं। सिर्फ बायोलॉजी के ही छात्र प्रवेश ले रहे हैं। कम छात्र होने पर भी परीक्षक बुलाना जरूरी होता है।

परीक्षक आने पर उन्हें सुविधाएं भी देनी पड़ती हैं। यही वजह है कि जिन कॉलेजों में छात्र कम हैं उनके छात्रों का एक ही जगह प्रयोगात्मक परीक्षा का केंद्र बना दिया जाए। इससे परीक्षक को भी दिक्कत नहीं होगी और महाविद्यालयों को भी सुविधा होगी। इस संबंध में वह पहले भी विश्वविद्यालय को अवगत करा चुके हैं। कुछ दिनों में प्रयोगात्मक परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। ऐसे में जब छात्र कम होंगे तो काफी दिक्कत होगी। इस वजह से इस बार संयुक्त प्रयोगात्मक परीक्षा केंद्र बना दिए जाएं। अधिकारी ने प्रतिनिधियों से लिखित में देने को कहा है। कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों की राय के बाद ही फैसला लिया जाएगा।