मां भगवती के 108 शक्तिपीठों से एक है पूर्णागिरि धाम
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हल्द्वानी, अमृत विचार। चैत्र नवरात्र में मांगी गई हर मन्नत मां दुर्गा पूरी करती हैं, यही वजह है कि नवरात्र में मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा गया है। यहां हर जगह पर तीर्थस्थल हैं। इन्हीं तीर्थों में एक है पूर्णागिरि धाम, चंपावत जिले के टनकपुर से लगभग 17 किमी दूर अन्नपूर्णा पहाड़ी पर और समुद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बसा है मां का यह धाम।
इसे मां भगवती के 108 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। नवरात्रि में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। माता से जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं माता उनकी मुराद जरुर पूरी करती है। प्रशासन भी इस दौरान यहां उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए जुटा हुआ है। प्रशासन और मंदिर समिति दोनों ने ही श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यवस्थाओं को चाक चौबंद किया है। मुख्य मंदिर से कालिका मंदिर तक यात्रा मार्ग फूल मालाओं व चुनरी से मुख्य मंदिर को भी आकर्षक रूप दिया गया है।
ये है पूर्णागिरि मंदिर की कहानी
पुराणों के अनुसार, जब दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन किया था। इसमें उसने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, सिवाय भगवान शिव और माता सती के। इसकी जानकारी होने पर माता सती स्वयं अकेले ही यज्ञ में पहुंच गई, जहां दक्ष ने भगवान शिव का खूब अपमान किया। इससे अपमानित होकर माता सती ने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर लिया। जिसके बाद आक्रोशित भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे। तभी भगवान विष्णु ने महादेव के क्रोध को शान्त करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 108 भागों में विभक्त कर दिया, जो अलग-अलग जगहों पर गिरे। जहां-जहां माता सती के शरीर के भाग गिरे, वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। इसी दौरान टनकपुर से 17 किमी दूरी अन्नपूर्णा चोटी पर माता सती की नाभि गिरी थी, जिसके बाद इस स्थल एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ, जिसे पूर्णागिरि शक्तिपीठ के रूप में पहचान मिली।
भैरव बाबा के दर्शन करना है जरूरी
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णागिरि मंदिर के दर्शन करने से पहले भैरव बाबा के दर्शन करना जरूरी होता है। तभी पूजा का पूर्ण फल मिलता है। पूर्णागिरि मंदिर से कुछ ही दूरी पर भैरव बाबा का मंदिर है। भैरव बाबा के मंदिर में भभूति मिलती है, जिसे घर लाना शुभ होता है। मान्यता है कि इससे परिवारवालों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।