AKTU: 100 करोड़ से बनाए जा रहे 300 इंक्यूबेशन सेंटर, इंजीनियरिंग की हर स्ट्रीम के छात्रों को पढ़ना होगा नवाचार

AKTU: 100 करोड़ से बनाए जा रहे 300 इंक्यूबेशन सेंटर, इंजीनियरिंग की हर स्ट्रीम के छात्रों को पढ़ना होगा नवाचार

मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में नवाचार अनिवार्य विषय के रुप में लागू किया जाएगा। प्रदेश के करीब 750 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों में सभी छात्र-छात्राओं को नवाचार का अध्ययन करना ही होगा जिसके लिए 2 क्रेडिट छात्रों को दिया जाएगा। नवाचार की पढ़ाई इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को अनिवार्य विषय के रुप में करना होगा। इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने निर्देश जारी किया था जिसके बाद सर्वप्रथम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय ने इसे लागू कर दिया है।

नवाचारों को पढ़ाने के लिए प्रदेश के करीब 40 शिक्षक प्रतिनिधियों को विश्वविद्यालय में 3 दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम में प्रशिक्षण भी दिया गया है। जिसमें शिक्षकों को नवाचार के महत्व और उसके विभिन्न पहलुओं से जानकारों ने अवगत कराया। इनमें से ज्यादातर शिक्षक कॉलेजों में बनाए गए इनक्यूबेशन सेंटर से आए थे। जो प्रशिक्षण के बाद छात्रों को नवाचारों पर मार्गदर्शन देने के साथ ही इसे पाठ्यक्रम के रूप में भी पढ़ाएंगे।

क्या होता है नवाचार

नवाचार से आशय किसी वस्तु या विचार को नए तरीके से करना या सुधारना। जैसे कोई उत्पाद या प्रक्रिया अथवा सेवा में सुधार कर उसे अधिक उपयोगी बनाना। उदाहरण के लिए पहली बार टेलीफोन का निर्माता उसका आविष्कारक था लेकिन स्मार्ट फोन नवाचार के अंतर्गत माना जाएगा। अविष्कृत चीजों को बेहतर करना नवाचार माना जाएगा।

100 करोड़ में बनेंगे 300 इनक्यूबेशन सेंटर

नवाचारों (इनोवेशन) को बढ़ावा देने, नए स्टार्टअप को खड़ा होने में मदद करने के लिए प्रदेश भर में 300 इन्क्यूबेशन सेँटर का निर्माण छह महीने में किया जाना था। अब तक करीब 100 इन्क्यूबेशन सेंटर बनाए भी जा चुके हैं। एक सेंटर पर करीब 15 लाख रुपए का खर्च अनुमानित हो रहा है। जिसके लिए विश्वविद्यालय ने करीब 100 करोड़ के फंड का प्रबंध किया है।

स्टार्टअप और इंटरप्रेन्योरशिप

स्टार्टअप नए विचारों के साथ शुरू होता है जिसमें कुछ नवाचार होना चाहिए। इसे विशेषज्ञों के सामने साबित भी करना पड़ता है। साबित होने के बाद इसका पेटेंट कराया जाता है। इसके बाद कंपनी बनाई जाती है जिसे सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है। बाजार में उत्पाद को उतारने के लिए निवेशकों को भी आमंत्रित किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को इंटरप्रेन्योरशिप कहा जाता है। जबकि इसमें सहयोग करने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर बनाया जाता है।

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