कासगंज: भीमसेन मंदिर पर परंपरागत सांस्कृतिक मेला, पूजा अर्चना कर मांगी मुरादें

कासगंज, अमृत विचार। मंगलवार को नदरई में भीमसेन मंदिर पर मेला का आयोजन किया गया। क्षेत्र के लोगों ने मंदिर में पहुंच पूजा-अर्चना कर मनोकामना की। वहीं लोगों ने मेले का लुत्फ लिया।
समीपवर्ती ग्राम नदरई में मंगलवार को परम्परागत रूप भीमसेन मंदिर पर मेला का आयोजन किया। झूले बच्चों के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। मान्यता के अनुसार, लोग छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया। मान्यता है कि यहां पर पूजन करने से बच्चे बीमारियों से दूर रहते हैं और स्वस्थ्य रहते हैं। भीमसेन मंदिर में माता ललिता देवी की प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक हो मनौती मांगी। 84 मन के घंटे का भी पूजन किया गया। मेले में शहर के अतिरिक्त समीपवर्ती ग्रामों से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। देर शाम तक मेला चलता रहा। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए। पुलिस मेला स्थल और मंदिर पर तैनात रही।
बच्चों ने झूला झुला, बड़ों ने उठाया चाट पकौड़ी का लुत्फ
मेले में बड़ी संख्या में बच्चों के लिए झूले, खेल-खिलौने व चाट पकौड़ी दुकाने सजी थी। ग्रामीण परिवेश की सौंदर्य प्रासाधन की भी दर्जनों दुकानें मेले में लगाई गईं थीं। इन दुकानों पर खरीददारों की भीड़ दिखाई दी। महिलाओं ने सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री खरीदी। बच्चों ने झूले का आनंद लिया तो बड़ों ने चाट पकौड़ी का आनंद लिया।
ललिता देवी की पूजा कर कराया मुर्गा का उतारा
नदरई स्थित भीमसेन मंदिर में माता ललिता देवी की प्रतिमा लगी है। मान्यता के अनुसार माता ललिता देवी की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है और रोगों से मुक्ति मिली है। इसी मान्यता के चलते महिल एवं पुरुषों ने माता ललिता देवी की पूजा की। इसके बाद बच्चों का मुर्गा का उतारा कराया।
झाल के पुल पर लगी दर्शकों की भीड़
नदरई मेले के बाद लोग ब्रिटिशकालीन झाल के पुल को देखने के लिए पहुंचे। ब्रिटिशकालीन यह पुल अपने अपने आप में अद्भुत है। ऊपर नहर और नीचे काली नदी और बीच में कोठरियां बनी हुई है। इन कोठरियों को चोर कोठरी कहा जाता है। मेले देखने पहुंचे लोगों ने झाल के पुल की भी रौनक बढ़ाई झाल के पुल पर भी मेले जैसा दृश्य था। यहां भी चाट पकौड़ी की दुकान सजी थी।
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