रामपुर : जिला कारागार में 301 बंदी रख रहे रोजा, कर रहे इबादत

9 महिला बंदी भी शामिल, मांग रहे गुनाहों की माफी

रामपुर : जिला कारागार में 301 बंदी रख रहे रोजा, कर रहे इबादत

रामपुर, अमृत विचार। रमजान माह में पूरा मुस्लिम समाज रोजे रखकर इबादत कर रहा है तो वहीं  किसी न किसी अपराध में  सजा काट रहे महिला और पुरुष बंदी रोजा रखकर इबादत कर रहे हैं। जिला कारागार में करीब 301 बंदी रोजा रखकर अल्लाह को याद कर रहे हैं और अल्लाह से गिड़गिड़ाकर अपने गुनाहों की माफी मांग रहे हैं।

इस्लाम धर्म में  रमजान माह को पवित्र माना जाता है। जिसमें  सभी लोग रोजे रखते हैं। शाम को रोजे के समय पर सायरन बजने पर इफ्तार किया जाता है। उसके बाद मगरिब की नमाज पढ़ी जाती है। रोजा रखने के दौरान रोजेदार पूरे दिन पानी या खाना नहीं खाते हैं। इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है कि रमजान के पवित्र माह में पूरे तीस दिन तक रोजा रखने के नियमों का पालन करते हुए दान करें। जिसमें बीमार व बच्चों को छोड़कर प्रत्येक मुस्लिम को रोजा रखना फर्ज माना जाता है। जिसको लेकर पूरे वर्ष मुस्लिम समाज के लोग इस दिन का इंतजार करते हैं। लेकिन जिला कारागार में किसी ने  किसी मामले में सजा काट रहे महिला और पुरुष बंदी अल्लाह को याद करते हुए रोजे रख रहे हैं। जिसमें 9 महिला बंदी और 301 पुरुष बंदी रोजे रख रहे हैं और पांचों वक्त की नमाज भी अदा कर रहे हैं। जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य ने बताया कि 310 महिला और पुरुष बंदी रोजा रख है। जिनको इफ्तार और सहरी का सामान उपलब्ध कराया जाता है।

रोजेदार बंदियों को दी जाती है इफ्तारी और सहरी
जिला कारागार में प्रशासन ने रोजा रखने वाले बंदियों और कैदियों के लिए अलग से व्यवस्था कर रखी है। उनको इफ्तार में  केला, खजूर, पावरोटी, फ्रूट चाट, दूध, चीनी, बिस्कुट आदि खाने के लिए दिया जाता है। जबकि, सहरी में दाल, चावली, रोटी सब्जी, खिचड़ी आदि दिया जता है। इसके अलावा जेल प्रशासन द्वारा पूरी तरह से रोजा रखने वाले बंदियों का ध्यान रखा जाता है।