Prayagraj News : शारीरिक संबंधों की नैतिकता से परिचित महिला द्वारा प्रतिरोध के अभाव में बना संबंध अवैध नहीं
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 वर्षीय विधवा के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि अगर यौन संबंध बनाने का अनुभव रखने वाली विवाहित महिला ऐसे संबंधों का विरोध नहीं करती है तो पुरुष के साथ उसका शारीरिक संबंध उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कथित पीड़िता 9, 7 और 4 वर्षीय तीन बच्चों की मां है। वह शारीरिक संबंधों की नैतिकता और परिणामों से भली प्रकार परिचित है। ऐसे में मौजूदा संबंध को पीड़िता की इच्छा के विरुद्ध नहीं माना जा सकता है।
उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने दुष्कर्म आरोपी को जमानत देते हुए की। उसके पति की चार वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। दूसरी ओर याची 20 वर्षीय एक अविवाहित व्यक्ति और पीड़िता का देवर है, जिस पर पीड़िता ने आरोप लगाया है कि वह शादी का झांसा देकर और उसके बच्चों की देखभाल करने के बहाने पिछले 2 वर्षों से उसके साथ शारीरिक संबंध बना रहा था, जिससे वह गर्भवती हो गई। याची ने उस पर गर्भपात कराने का दबाव बनाया और जान से मारने की धमकी भी दी। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पीड़िता ने अपनी निजी दुश्मनी निकालने के लिए झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
उसकी मेडिकल जांच में गर्भावस्था रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई थी और उसने अपनी आंतरिक मेडिकल जांच कराने से भी इंकार कर दिया था। याची के अधिवक्ता ने आगे यह भी बताया कि वास्तव में पीड़िता याची से विवाह करना चाहती थी, लेकिन याची के इनकार करने पर उसे वर्तमान झूठे मामले में फंसा दिया। अंत में कोर्ट ने पीड़िता की गर्भावस्था से संबंधित चिकित्सीय साक्ष्य को संदेहास्पद मानते हुए याची को जमानत दे दी।
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