संपादकीय: खुला विश्वविद्यालय

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महाकुंभ का आरंभ हो चुका है। इस वर्ष महाकुंभ का आयोजन श्रद्धालुओं की संख्या और भव्यता में पिछले सभी आयोजनों से बेहतर होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने के साथ ही इसे भारतीय मूल्यों और संस्कृति को संजोने वालों के लिए एक बेहद खास दिन करार दिया और कहा कि यह विशाल धार्मिक आयोजन भारत की कालातीत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नए क्षितिज पर ले जाएगा।

प्रधानमंत्री ने इस आयोजन को एकता का महायज्ञ बताया। वास्तव में कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। यह आयोजन प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की शक्ति, क्षमता और भव्यता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करेगा। महाकुंभ में अनेकता में एकता के साथ-साथ कारोबार और परोपकार का अनूठा संगम भी देखने को मिल रहा है। आस्था, विश्वास, सौहार्द, और संस्कृतियों के मिलन का महापर्व माना जाता है।

साल 2017 में, कुंभ मेले को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की थी। महाकुंभ भारत की शाश्वत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है और आस्था और सद्भाव का जश्न मनाता है। यानी महाकुंभ मेला, अपने पारंपरिक आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाते हुए, व्यापक स्वास्थ्य, शैक्षिक और पर्यावरणीय पहलों को समाहित करने के लिए तैयार है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एक हज़ार से अधिक प्रमुख शिक्षकों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षा मंत्रियों और केंद्र तथा राज्य सरकारों के  सचिवों को एक साथ लाने के लिए ‘ज्ञान महाकुंभ’ का आयोजन कर रहा है। 

पर्यावरण चेतना को बढ़ावा देने के लिए, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधियों से जुड़े स्वयंसेवकों ने ‘एक थैला, एक थाली’ पहल शुरू की है। कुल मिलाकर संगम तट पर आध्यात्मिक उल्लास और धार्मिक आस्था का अद्वितीय नजारा देखने को मिल रहा है। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए महाकुंभ जीवन का अद्वितीय अनुभव बन रहा है।

राज्य व केंद्र सरकार की कई बहुआयामी पहल महाकुंभ मेला के प्रति समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, जो आध्यात्मिकता को स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ती हैं, जिससे लाखों प्रतिभागियों का अनुभव समृद्ध होता है। कहा जा सकता है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा का खुला विश्वविद्यालय है, जो हर स्तर के व्यक्तियों के लिए ज्ञान के भंडार में से कुछ सीखने, समझने, और आत्मसात करने का मंच प्रदान करता है। इस तरह के आयोजन न केवल भारत की प्राचीन विरासत को जीवित रखे हुए है बल्कि आधुनिक समाज को भी प्रेरणा देते हैं।