कासगंज: फातिमा शेख की जयंती पर गोष्ठी आयोजित, दलित और महिला शिक्षा में योगदान को किया याद
गंजडुंडवारा, अमृत विचार: गंजडुंडवारा शिक्षा विकास समिति के तत्वावधान में हर नारायन इंटर कॉलेज में भारत की प्रथम मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने फातिमा शेख के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ फातिमा शेख ने दलित समुदायों में शिक्षा फैलाने में अहम भूमिका निभाई थी। गोष्ठी का संचालन समिति के संयोजक अनिल राठौर ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी अब्दुल हफीज गांधी और शिक्षा विकास समिति के संयोजक अनिल राठौर ने फातिमा शेख के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कॉलेज की छात्रा चांदनी पाटकर ने कविता सुनाकर फातिमा शेख के बारे में जानकारी दी। सिमरन गोला ने अपने विचार रखे। वहीं आयुषी, मंतशा और चांदनी ने फातिमा शेख के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला।
शिक्षा विकास समिति के संयोजक अनिल राठौर ने बताया कि फातिमा शेख मियां उस्मान शेख की बहन थीं, जिनके घर में ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले ने निवास किया था, जब महात्मा ज्योतिबा फुले के पिता ने दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए किए जा रहे उनके कार्यों के कारण उन्हें घर से निकाल दिया था। फातिमा शेख आधुनिक भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षकों में से एक थीं।
उन्होंने स्कूल में दलित बच्चों को शिक्षित करना शुरू किया। ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर फातिमा शेख ने दलित समुदायों में शिक्षा का प्रसार कर लोगों को शिक्षित बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रवक्ता ओमप्रकाश ने बताया कि फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और उत्पीड़ित जातियों के लोगों को शिक्षा देना शुरू किया।
अब्दुल हफीज गांधी ने विचार रखते हुए कहा कि उस्मान शेख ने फुले दंपत्ति को अपने घर की पेशकश की और परिसर में एक स्कूल चलाने की अनुमति दी। 1848 में उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख के घर में एक स्कूल खोला गया। कार्यक्रम में शिक्षा विकास समिति के संयोजक अनिल राठौर, राशिद अली, शकील अंसारी, चंद्रभान सिंह, एवरन सिंह, कुलदीप शर्मा, ओम नारायण, अवधेश तौमर, जगत पाल सिंह, अमर बहादुर, ज्ञान सिंह, पूनम रानी सहित समस्त स्टाफ मौजूद रहा।
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