Kannauj: जिंदा हूं मैं, आठ साल से चिल्ला रहा हरनाथ...अधिकारी इधर से उधर भेज रहे, डीएम से मिलने पहुंचा वृद्ध, जानिए पूरा मामला
कन्नौज, अमृत विचार। फिल्मी पटकथा ‘चला मुसद्दी दफ्पर-दफ्तर’ की तरह एक किसान के साथ भी हो रहा है। सरकारी कागजों में मृतक ग्रामीण आठ साल से चिल्ला रहा है कि वह जीवित है। इसके लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहा है और समस्या जस की तस है जिससे किसी योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
तिर्वा तहसील क्षेत्र के गांव वाहिदपुर मौजा सौसरी निवासी हरनाथ पाल (60) पुत्र रामस्वरूप पाल को सरकारी कागजात में मृत दर्शा दिया गया है। वह किसी दफ्तर में किसी काम को जाता तो उसे मृतक बता फाइल बंद कर दी जाती है। वह 2016-17 से अपने को जीवित सावित करने के लिये जिले से लेकर तहसील स्तर पर कार्यालयों के चक्कर काट चुका है।
कई बाबुओं ने तो उसे यह भी अश्वासन दे दिया कि अब जाओं आप को जीवित कर दिया गया है। इसके बाद वह किसान सम्मान निधि का आवेदन लेकर पहुंचा तो वहां भी उसे मृतक घोषित कर सम्मान निधि से बंचित कर दिया गया। आवेदन को निरस्त कर दिया गया। इस के चलते वह अपने को जीवित सावित करने का प्रयास कर रहा है।
मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे हरनाथ पाल ने इस संबंध में जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला को शिकायती पत्र देकर खुद को जीवित किये जाने की मांग की है। शिकायती पत्र में उसने कहा कि 2016-17 में उसे सरकारी कागजात में मृत दिखा दिया गया। जबकि वह पूरी तरह से जिंदा है। उसने लिखा कि उसने किसान सम्मान निधि पाने के लिये आवेदन किया था। सभी किसानों के रुपये आये पर उसके रुपया नहीं आअ।
इस पर वह संबंधित कार्यालय कृषि भवन पहुंचा तो उसे बताया गया कि आवेदन में आप मृत हो। पहले इसे सही कराओ। इस पर वह तहसील पहुंचा जहां उसे बोला गया कि आपके कागजात को सही कर दिया गया है। इस के बाद वह फिर संबंधित कार्यालय गया लेकिन उसे लाभ नहीं मिला।
पीड़ित किसान ने कहा कि उसे आज तक कोई सरकारी लाभ नहीं दिया गया है। शायद इस के पीछे यही वजह रही कि उसे मृत घोषित कर दिया गया है। पीड़ित किसान ने जिलाधिकारी से मांग की है कि उसे मृत से जीवित कराया जाये। इस में जो भी दोषी हों उनके खिलाफ कार्रवाई की जाये। जिससे उसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।