कोटेदारों के सर जुर्माना का बोझः ई-वेइंग स्केल और ई-पॉस मशीनें खराब हुईं, तो नहीं सरकार की जिम्मेदारी
अपर आयुक्त खाद्य ने जारी किए आदेश
राजीव शुक्ला, लखनऊ, अमृत विचार: सस्ते गल्ले की दुकानों पर अब ई-वेइंग स्केल और ई-पॉस मशीनें खराब होती हैं और खराबी की वजह कोटेदार हुए, तो खाद्य एवं रसद विभाग उनसे जुर्माना लेगा। जुर्मानें की दरें अनुबंध के वर्ष के हिसाब से तय होंगी।
गरीबों को पारदर्शी तरीके से पूरा राशन मिले, इसके लिए सरकार उचित दर की दुकानों पर ई-वेइंग स्केल (इलेक्ट्रॉनिक कांटा) से लिंग ई-पॉश मशीनों का प्रयोग कराया जा रहा है। आए दिन इन मशीनों में खराबी और तकनीकी समस्या की वजह से राशन वितरण में दिक्कत होती है। मशीनों की मरम्मत और उन्हें बदलने के नाम पर कोटेदारों और सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाओं के बीच आए दिन विवाद की शिकायतें भी उच्चाधिकारियों तक पहुंचती हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए खाद्य एवं रसद विभाग ने तय किया है कि ई-वेइंग स्केल और ई-पॉस मशीनों में खराबी की वजह तलाशी जाएगी। अपर आयुक्त खाद्य एवं रसद ने जिला पूर्ति अधिकारी (डीएसओ) से इसकी जांच कराने संबंधी आदेश जारी किया है। डीएसओ जांच कर रिपोर्ट देंगे कि मशीन में आई खराबी की वजह कोटेदार हैं या नहीं।
मशीन खराब हुई तो कोटेदार भरेंगे जुर्माना
मशीनों की खराबी के लिए कोटेदार दोषी पाया जाता है, तो उससे जुर्माना लेकर दूसरी मशीनें मुहैया कराई जाएंगी। ई-वेइंग स्केल यदि अनुबंध के एक वर्ष के भीतर खराब होती है, तो कोटेदार को दस हजार रुपये देने होंगे। अनुबंध के दूसरे वर्ष आठ हजार रुपये, तीसरे वर्ष में छह हजार रुपये और उसके बाद के वर्षों में चार हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। इसी तरह ई-पॉस मशीन के खराब होने पर पहले वर्ष छह हजार रुपये, दूसरे वर्ष में पांच हजार रुपये, तीसरे वर्ष में चार हजार रुपये और उसके बाद के वर्षों में तीन हजार रुपये का जुर्माना देना होगा।
48 घंटे में ठीक कराई जाएगी मशीन
ई-वेइंग स्केल और ई-पॉस मशीनों के खराब होने की वजह कोटेदार नहीं हैं, तो कोटेदारों की शिकायत पर 48 घंटे के अंदर अधिकृत सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाएं मशीन ठीक करेगी या उसे बदलेंगी। साथ ही ई-वेइंग स्केल की वार्षिक स्टॉम्पिंग कराने की जिम्मेदारी सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाओं की होगी। स्टॉम्पिंग का खर्च भी सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाएं ही वहन करेंगी।
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