UP: प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता की मौत, पार्टी ने पुलिस पर लगाया बर्बरता का आरोप लगाया, सरकार से की यह मांग

UP: प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता की मौत, पार्टी ने पुलिस पर लगाया बर्बरता का आरोप लगाया, सरकार से की यह मांग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पास कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल पार्टी के कार्यकर्ता की बुधवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पार्टी ने ‘पुलिस बर्बरता’ के कारण कार्यकर्ता की मौत होने का दावा किया है। वहीं, इस मामले में अज्ञात व्‍यक्ति के खिलाफ हत्‍या का मुकदमा दर्ज किया गया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने विधान भवन का घेराव करने की कोशिश के दौरान पुलिस की ‘बर्बरता’ से कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की मौत का दावा किया। 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गोरखपुर के मूल निवासी 28 वर्षीय प्रभात पांडे को कांग्रेस कार्यालय से अस्पताल में मृत अवस्था में लाया गया। पुलिस उपायुक्त (मध्य लखनऊ) रवीना त्यागी ने बताया, "प्रभात पांडे को कांग्रेस कार्यालय से बेहोशी की हालत में हजरतगंज के सिविल अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।" 

त्यागी ने कहा, "डॉक्टरों के अनुसार प्रथम दृष्ट्या उनके शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं मिला। इसके अलावा डॉक्टरों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। इसके अनुसार आगे की कानूनी कार्यवाही की जाएगी।" 

कांग्रेस नेताओं ने उत्तर प्रदेश और असम में विरोध प्रदर्शन के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस द्वारा बल प्रयोग की कड़ी निंदा की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने असम और उत्तर प्रदेश में भाजपा नीत सरकारों पर लोकतंत्र और संविधान की हत्या" करने का आरोप लगाया। 


उन्होंने 'एक्स' पर कहा, "भाजपा शासित असम और उत्तरप्रदेश में लोकतंत्र और संविधान की फिर से हत्या हुई है।" राहुल ने कहा, "देश भर में कांग्रेस पार्टी बाबा साहेब और संविधान के समर्थन में सत्याग्रह कर रही है। इस दौरान पुलिस बल की ज्यादती के कारण हमारे कांग्रेस कार्यकर्ताओं-गुवाहाटी में मृदुल इस्लाम और लखनऊ में प्रभात पांडे की मृत्यु बहुत दुखद और निंदनीय है।"

उन्होंने पोस्ट में कहा, "उनके शोकाकुल प्रियजनों के लिए मैं अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। इन परिवारों को पूरे न्याय का अधिकार है। कांग्रेस के बब्बर शेर सत्य और संविधान के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।" वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत पर अपना रोष जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस की 'बर्बरता' की निंदा की। 

उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "उत्तर प्रदेश में व्याप्त कुशासन के खिलाफ विधानसभा घेराव करने जा रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस की बर्बरता ने हमारे एक कार्यकर्ता की जान ले ली। गोरखपुर के युवा कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे जी की मौत अत्यंत हृदयविदारक है।"

प्रियंका ने कहा, "इसी तरह असम में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर भाजपा सरकार ने लाठी-डंडे और आंसू गैस के गोले चलवाए, जिसमें मृदुल इस्लाम जी की मौत हो गई। भाजपा की सरकारों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर जिस तरह दमनकारी कार्रवाई की है, वह अंग्रेजी राज की याद दिलाता है। भाजपा संसद में बाबा साहेब पर हमला कर रही है और सड़कों पर उनके संविधान को कुचल रही है।’’ 

अजय राय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, "आज विधानसभा का घेराव करने जा रहे हमारे युवा साथी प्रभात पांडे जी का पुलिस की बर्बरता के कारण निधन हो गया। यह घटना अत्यंत दुखद और निंदनीय है। इस घटना से हमारा कांग्रेस परिवार आहत और आक्रोशित है। हम इस घटना को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।" 

राय ने कहा, "योगी आदित्यनाथ की सरकार को मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए।" राय ने बुधवार शाम को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में विधान भवन का घेराव करने के इरादे से शांतिपूर्ण मार्च निकाला था। तभी पुलिस ने अत्यधिक बल का प्रयोग किया, जिसके कारण प्रभात पांडे की मौत हो गई।

 उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दमनकारी उपायों के जरिये असंतोष को दबाने की कोशिश कर रही है। राय ने घोषणा की कि कांग्रेस प्रभात पांडे के परिवार को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने विरोध प्रदर्शन होने से एक दिन पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नजरबंद करके विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की थी। 

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए राय ने मांग की कि मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि प्रभात पांडे के परिवार को एक करोड़ रुपये का आर्थिक मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।

 कांग्रेस के कार्यकर्ता किसानों की समस्याओं, बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को धरनास्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए विधानसभा परिसर के चारों ओर बैरिकेड लगाए गए थे, जबकि मार्ग परिवर्तन के कारण शहर के बीचों-बीच यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। 

पुलिस ने लखनऊ में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 (उपद्रव या आशंका वाले खतरे के तत्काल मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति) के तहत प्रतिबंधों का हवाला देते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी के मॉल एवेन्यू कार्यालय से आगे नहीं बढ़ने दिया।

पांडे की मौत के मामले में हुसैनगंज थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्रभात पांडे के चाचा मनीष कुमार पांडे द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार शाम करीब सवा चार बजे उन्हें कांग्रेस कार्यालय से किसी ने फोन किया जिसने बताया कि प्रभात कार्यालय में बेहोश पाया गया है। फोन करने वाले ने बताया कि प्रभात "दो घंटे से अधिक समय से वहां पड़ा हुआ था।" 

शिकायत के अनुसार मनीष ने एक परिचित संदीप को कांग्रेस कार्यालय भेजा। वहां पहुंचने पर संदीप ने पाया कि प्रभात मरणासन्‍न स्थिति में है। संदीप और कांग्रेस कार्यालय के कुछ सदस्यों ने प्रभात को एक कार से पास के सिविल अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उनके भतीजे को कोई जाहिर बीमारी नहीं थी, और यह स्पष्ट नहीं है कि वह कांग्रेस कार्यालय में कैसे पहुंचा। 

प्रभात की मौत की रहस्यमय परिस्थितियों को देखते हुए मनीष ने आशंका जताई कि उनके भतीजे की हत्या की गई है। लखनऊ पुलिस ने गोरखपुर के सहजनवा निवासी प्रभात पांडे की मौत के संबंध में एक बयान जारी किया है। बयान के मुताबिक पांडे को कांग्रेस के प्रदेश पार्टी कार्यालय से सिविल अस्पताल लाया गया था, जहां पहुंचने पर मेडिकल टीम ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

 बयान के अनुसार प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पांडे को आखिरी बार कांग्रेस के प्रदेश पार्टी कार्यालय में देखा गया था। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि उनके शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं थी। पुलिस ने मौत का सही कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम जांच के आदेश दिए हैं। बयान में कहा गया है, ‘‘डॉक्टरों का एक पैनल पोस्टमार्टम करेगा, जिसे प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए वीडियोग्राफी के माध्यम से रिकॉर्ड किया जाएगा।’’ 

लखनऊ पुलिस ने बयान में कहा कि प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर कोई बल प्रयोग नहीं किया गया। पुलिस ने चेताया है कि कानून-व्यवस्था को बाधित करने वाली झूठी सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

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