Bareilly: प्रोजेक्ट पर हुए करोड़ों खर्च, फिर भी धरातल पर नहीं उतरे...टेंडर लेने को तैयार नहीं कंपनी
एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के लिए चुने गए थे छह वार्ड, 63 प्रोजेक्ट पर खर्च किया करीब हजार करोड़ का बजट
बरेली, अमृत विचार: स्मार्ट सिटी मिशन बरेली में सफलता और असफलता के ही बीच झूलता रह गया। पहले फेज के सारे प्रोजेक्ट पूरे कर अफसरों ने जमकर अपनी पीठ ठोंकी लेकिन ज्यादातर प्रोजेक्ट न चला पाने की नाकामी पर ऐसी चुप्पी साधकर बैठ गए जो टूटने में ही नहीं आ रही है।
पहले फेज में एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के तहत स्मार्ट सिटी मिशन में शहर के चुनिंदा इलाकों में स्मार्ट प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक सुरक्षा, गतिशीलता, जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किए जाने का लक्ष्य था। बरेली समेत देश के सौ शहरों काे 2014- 15 में स्मार्ट सिटी मिशन के लिए चुना गया था। शहर में एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के लिए छह वार्डों का चयन किए जाने के बाद 2018 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। इन वार्डों में 63 प्रोजेक्ट पर करीब एक हजार करोड़ रुपये का बजट खर्च किया गया है।
पहले फेज का काम 2024 में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया था। स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से सभी प्रोजेक्ट पूरे करने का दावा किया जा चुका है। इनमें से कई प्रोजेक्ट काफी समय पहले पूरे हो गए थे लेकिन अफसर इन्हें अब तक शुरू नहीं करा पाए हैं। इनके संचालन के लिए कई बार टेंडर निकाले जा चुके हैं लेकिन कठिन शर्तों की वजह से कोई कंपनी उन्हें हाथ में लेने को तैयार नहीं हुई। शहर के लिए ये प्रोजेक्ट अब तक शोपीस ही बने हुए हैं।
बिना सोचे-समझे बनाए गए स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट
एबीडी एरिया के पार्षद राजेश अग्रवाल कहते हैं कि जिस मकसद के लिए स्मार्ट सिटी मिशन शुरू किया गया था, बरेली में उस पर वह खरा नहीं उतर पाया है। एकमात्र कुतुबखाना पुल के प्रोजेक्ट को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी प्रोजेक्ट शहर की जनता के लिए अब तक बेकार हैं। करोड़ों खर्च कर प्रोजेक्ट तो तैयार कर लिए गए लेकिन धरातल पर नहीं उतरे। उनके वार्ड में कई प्रोजेक्ट हैं, लेकिन अधिकांश किसी काम के नहीं हैं।
वजह यह है कि ये प्रोजेक्ट बिना सोचेसमझे बनाए गए थे। इस वजह से इनके बाद भी शहर में कोई बदलाव नहीं हो पाया। अधिकारियों को चाहिए कि वार्डों को जलभराव से निजात दिलाएं और अच्छी सड़कों का चौड़ीकरण कराएं। सिर्फ टाइल्स लगाने से सड़क चौड़ी नहीं हो जाती है। मार्बल लगाकर सिर्फ पैसे खपाए गए हैं।
रामपुर बाग : फिलहाल स्मार्ट सिटी मिशन का ये हश्र
करीब 4.5 हेक्टेयर जमीन पर 157 करोड़ की लागत से अर्बन हाट बनाने का उद्देश्य जिले के पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराना था। लंबे वक्त के बाद भी इसके संचालन का मामला शासन स्तर पर अटका हुआ है।
गांधी उद्यान में ओपन जिम पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च हुए। अग्रसेन पार्क में भी 30 लाख रुपये लगाए गए। इसके अलावा कई और पार्कों में ओपन जिम बनाए गए जो कुछ महीने भी चल नहीं पाए। हर जगह मशीनें टूटफूटकर बेकार हो गई हैं।
संजय कम्युनिटी हाल परिसर में अमृत सरोवर विकसित करने पर 9.59 करोड़ रुपये की बड़ी रकम खर्च की गई लेकिन यह प्रोजेक्ट भी अभी शुरू नहीं हो पाया है।
करीब 16 करोड़ की लागत से चार मल्टी लेवल पार्किंग का निर्माण कराया गया। इनमें से अभी मोती पार्क की पार्किंग ही शुरू हो पाई है। उसमें भी कई समस्याएं हैं।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एबीडी एरिया में लाइटिंग और सड़क निर्माण पर भी करोड़ों खर्च किए गए थे लेकिन न लाइटिंग का हाल अच्छा है, न ही सड़कों का।
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