Regenerative Therapy: गठिया और जोड़ों के दर्द से निजात दिला रही यह दवा, KGMU में 100 से ज्यादा मरीज हुये ठीक

पांच बच्चों का खराब हो चुका था कूल्हा, बचाया, जानिये क्या कहते हैं डॉक्टर सुधीर मिश्रा

Regenerative Therapy: गठिया और जोड़ों के दर्द से निजात दिला रही यह दवा, KGMU में 100 से ज्यादा मरीज हुये ठीक

लखनऊ, अमृत विचार। गठिया रोग, मांसपेशियों का फट जाना, घुटने-कंधों का दर्द, चोट लगना, नॉन हीलिंग फैक्चर, टेनिस एल्बो, सर्वाइकल पेन, स्पॉन्डिलाइटिस, जॉइंट डिसफंक्शन,फ्रोजन शोल्डर, प्लांटर फेशिआइटिस और बर्साइटिस बीमारियों के इलाज में रीजनरेटिव थेरेपी कारगर है। इतना ही नहीं घुटना और कूल्हे के प्रत्यारोपण को भी इस तकनीक से टाला जा सकता है, बशर्ते इलाज समय पर शुरू हो सके। यह जानकारी केजीएमयू में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. सुधीर मिश्रा ने दी है। उन्होंने बताया कि अब तक करीब 100 मरीजों का इलाज सफलता पूर्वक किया गया है। जिसमें बच्चे भी शामिल रहे हैं। 

डॉ. सुधीर मिश्रा के मुताबिक रीजनरेटिव थेरेपी से दर्द से राहत मिलने के साथ ही खराब हो रहे ज्वाइंट को भी ठीक किया जा सकता है, लेकिन इस तरह के इलाज में समय बहुत मायने रखता है, यदि समस्या की शुरूआत में ही लोग जागरूक हो जायें, यानी जोड़ों में दर्द शुरू होते ही डॉक्टर से सलाह ले तो इलाज बेहतर हो सकता है, खराब हो चुकी टिश्यू और ज्वाइंट को ठीक किया जा सकता है, गठिया के दर्द से निजात मिल सकती है।

उन्होंने बताया कि रीजनरेटिव थेरेपी में मरीज का ही ब्लड लेकर उससे दवा बनाई जाती है और जिस जगह पर दर्द अथवा समस्या है ठीक उसी जगह पर इंजेक्शन के जरिये दवा डाल दी जाती है। उसके बाद एक्सरसाइज का भी बहुत बड़ा महत्व होता है। मरीज के ब्लड को प्रोसेस कर बनाई गई दवा में ग्रोथ फैक्टर होता है, जिससे अंग के डैमेज एरिया में डालने से डैमेज हो चुके पार्ट को ठीक करता है। यदि मरीज डॉक्टर की सलाह पर कार्य करता है तो जल्दी ठीक भी हो जाता है।

उन्होंने बताया कि रीजनरेटिव थेरेपी के तहत ही प्रोलोथेरेपी, प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थेरेपी आती है। इस थेरेपी के जरिये मरीज को बिना सर्जरी ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी तक विभाग में आने वाले 100 मरीजों को इस थेरेपी के जरिये ठीक किया जा चुका है। इन मरीजों में गठिया रोग, मांसपेशियों का फट जाना, घुटने-कंधों का दर्द, चोट लगना, नॉन हीलिंग फैक्चर, टेनिस एल्बो, सर्वाइकल पेन, स्पॉन्डिलाइटिस, जॉइंट डिसफंक्शन,फ्रोजन शोल्डर, प्लांटर फेशिआइटिस और बर्साइटिस बीमारियों से पीड़ित मरीज शामिल रहे हैं। 

पहले स्टेरॉयड से होता था इलाज

पीएमआर विभाग के एचओडी प्रो.अनिल गुप्ता ने बताया कि पहले इंजरी होने पर स्टेरॉयड का इंजेक्शन दिया जाता था, लेकिन उसका गहरा नुकसान होता था, मांसपेशियों और लिगामेंट खराब हो जाया करते थे। इसलिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल बंद कर दिया गया। रीजनरेटिव मेडिसिन मौजूदा दौर में मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

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