पानी पर चलते थे तपोनिष्ठ सिद्ध संत देवरहा बाबा, राष्ट्रपति व पीएम दर्शन को रहते थे ललायित
एक साथ तीन-तीन स्थानों पर देते थे दर्शन
मिथलेश त्रिपाठी, कुंभ नगर, प्रयागराज,अमृत विचार। प्रयागराज संत महात्माओं की तपोभूमि कही जाती है। यहां कई ऋषियों और संतो ने हजारों वर्ष कठिन तपस्या कर सिद्धि प्राप्त की और ब्रम्हलीन हो गये। अपनी सिद्धि और साधना के बल पर पानी पर भी चलते थे। इतना ही नहीं वह एक साथ तीन-तीन स्थानों पर दर्शन भी देते थे। उन्हीं सिद्ध संतो में एक थे तपोनिष्ठ संत पूजनीय देवरहा बाबा। आज तक देवरहा बाबा की उम्र का भी कोई पता नहीं लगा सका।
तपोनिष्ठ संत पूजनीय देवराहा बाबा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले थे। उनका आश्रम देवरिया में सरयू नदी के किनारे पर बना हुआ है। जिससे उन्हें देवरिया बाबा भी कहते थे। प्रयागराज में गंगा के किनारे वह मचान बनाकर रहते थे। वह लोगों को मचान से ही दर्शन दिया करते थे। बाबा जी कुछ समय वृन्दावन तो कुछ समय प्रयागराज या फिर उत्तराखंड के पहाड़ों पर जाकर तप और साधना करते थे। देवरहा बाबा की यह अद्भुत शक्तियां व सिद्धियां लोगों को आश्चर्यचकित कर देती थीं।
पूर्व प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति दर्शन को रहते थे ललायित
देवरहा बाब के बारे में यह भी कहा जाता है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद बचपन में अपने पिता के साथ बाबा का दर्शन करने आते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी सहित देश के कई बड़े दिग्गज नेता बाबा जी के दर्शन को लालायित रहते थे। विहिप के अध्यक्ष अशोक सिंघल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी देवरहा बाबा के भक्त रहे। कहा जाता है कि राम मंदिर के आंदोलन में अशोक सिंघल और मोहन भागवत ने भी बाबा का आशीर्वाद लिया था। देवरहा बाबा हमेशा मचान पर ही रहते थे और वहीं से ही लोगों को आशीर्वाद दिया करते थे। देवरहा बाबा का समाधि स्थल वृन्दावन में बना हुआ है।
देवरहा बाबा ने किया था राजा भैया का नामकरण
परम तपस्वी देवरहा बाबा की तपोस्थली से भदरी रियासत के राजा रघुराज प्रताप सिंह "राजा भैया" की जिंदगी के कई किरदार देवरहा बाबा से जुड़े है। भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप के बेटे राजा भैया देवरहा बाबा के आशीर्वाद से ही आज बड़े मुकाम पर है। रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' का नामकरण भी देवरहा बाबा ने ही किया था। कहते है कि राजा भैया किसी भी काम को करने के पहले देवरहा बाबा का आशीर्वाद जरूर लेते हैं। यह भी कहा जाता है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेते थे। पहले कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान बैलगाड़ी था। एक बार इंदिरा गांधी देवरहा बाबा के दर्शन करने झूंसी पुल के नीचे बने आश्रम में गयीं थीं। जहां बाबा ने उन्हें दोनो हाथों से आशीर्वाद दिया था और कहा था अब यही तुम्हारा कल्याण करेगा। जिसके बाद कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हांथ का पंजा हुआ था।
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