Kanpur: मेस्टन रोड में डिवाइडर पर पार्किंग गला कसती, अतिक्रमण लगाता फंदा, यातायात सुधारने को की जा रही कोशिशें नाकाम
कानपुर, अमृत विचार। यातायात अधिकारी शहर में जाम का समाधान निकालने में नाकाम साबित हो रहे हैं। खासतौर पर बाजारों का जाम दूर करने में प्रयास नाकाफी हैं। जाम क्यों लग रहा है, इस गहराई में जाने के बजाए चौराहों पर बेरीकेडिंग कर यातायात सुधारने की कोशिश की जा रही है। मेस्टन रोड पर बिना सर्वे और समस्या को समझे यातायात सुधार के प्रयास बेमानी हैं।
मूलगंज से मेस्टन रोड और बड़ा चौराहा होते कचहरी तक 2000 से अधिक ई रिक्शा दौड़ते हैं। इस कारण मूलगंज से कचहरी तक ई रिक्शा एक के पीछे रेंगते रहते हैं। यहां मेस्टन रोड, मनीराम बगिया, चौक, सर्राफा, कार्ड वाली गली, बिसातखाना समेत आसपास की बाजारों में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है, ऐसे में ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए दुकानदार फुटपाथ पर दुकान सजाकर आगे सड़क तक सामान और बोर्ड आदि रख देते हैं।
सड़क के दोनों ओर फुटपाथ इसी प्रकार घिरे हैं। मूलगंज से मेस्टन रोड होते हुए बड़ा चौराहा तक बीच सड़क पर डिवाइडर बना है ताकि लोग बीच सड़क पर वाहन नहीं खड़ा करें लेकिन इसी डिवाइडर के दोनों ओर सैकड़ों वाहन खड़े रहते हैं जिससे 40 प्रतिशत भी सड़क आवागमन के लिए नहीं बचती है। जाम लगने का सबसे बड़ा यही कारण है।
मूलगंज से बड़ा चौराहा का हाल
- कचहरी तक चलते ई रिक्शा - 2000
- डिवाइडर पर खड़े रहते दो पहिया वाहन - 1500
- डिवाइडर पर खड़े होते चार पहिया वाहन- 200
- प्रतिदिन वाहनों का आवागमन - 10000
- फुटपाथ पर लगी दुकानें - 700
- मूलगंज थाना के बाहर खड़े वाहन - 20
क्या बोले व्यापारी
- मेस्टन रोड पर बीच सड़क पर दो पहिया एवं चार पहिया वाहन बेतरतीब खड़े रहते हैं, कब से खड़े हैं, ये भी नही पता, डिवाइड से लगे खड़े ये वाहन जाम का कारण हैं। - मनोज मेघानी
- दुकानदारों को चाहिए कि फुटपाथ को खाली रखें तो यातायात कभी बाधित नहीं होगा, इसके लिए दुकानदारों को खुद ख्याल रखना होगा। - राम सिंह चौहान
- परेड के पास पार्किंग बनाई गई है, ताकि परेड, मेस्टन रोड, मूलगंज, मखनिया बाजार, यतीमखाना तक सड़क पर खड़े रहने वाले वाहन इसी पार्किंग में जमा हों और सड़कें खाली रहें। - आकाश जायसवाल
॰ कई बार मेस्टन रोड के बीच में खड़े वाहनों को यातायात विभाग ने अभियान चलाकर साफ कराया है और दो क्रेन यहां हमेशा तैनात रहती थी लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म हो गई है।- अमित वर्मा