112 पंपों में से 39 खराब, कैसे साफ हो गंगा...कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की घोर लापरवाही सामने आई
मेट्रो कार्य के कारण सीवर लाइन के डॉयवर्जन से भी गंगा में गिर रहा गंदा पानी
कानपुर, अमृत विचार। कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (केआरएमपीएल) की ओर से सभी यूनिटों में संचालित 112 पंपों में 39 पंप खराब पड़े हुए हैं। इसी तरह मेट्रो की ओर से बड़े चौराहे पर सीवर लाइन का डायवर्जन किए जाने की वजह से सीसामऊ नाले से होकर अशोधित पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है।
जाजमऊ की सभी टेनरियां भी नई कन्वेंशन लाइन से जुड़ी नहीं हैं। यह सभी कारण गंगा की सेहत पर असर डाल रहे हैं। खास तौर पर केआरएमपीएल की लापरवाही अधिकारियों के लिये आफत बनी हुई है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों और सीवेज पंपिंग स्टेशनों के जरिये गंगा में पानी जाने की वजह से गंगा का पानी नहाने योग्य भी नहीं बच पा रहा है।
केआरएमपीएल के पंप सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) और सीवेज पंपिंग स्टेशनों (एसपीएस) में लगे हुये हैं। यह पंप सीवर के पानी को डायवर्ट कर एसटीपी तक भेजने व शोधन प्रणाली में लगे हैं। लेकिन पंप बंद होने की वजह से अक्सर एसपीएस में सीवर ओवरफ्लो कर जाता है और पानी गंगा नदी में बिना शोधन के ही गिरने लगता है। महाकुंभ-2025 के नजदीक होने की वजह से जिम्मेदार सक्रिय हो गये हैं।
इसको लेकर बैठक और समीक्षा की जा रही है। जिलाधिकारी राकेश कुमार की ओर से की गई समीक्षा में सबसे बड़ी समस्या केआरएमपीएल के बंद 39 पंप मिले हैं। जिसपर केआरएमपीएल के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि तत्काल सभी पंपों को ठीक किया जाये।
शहर में एनएमसीजी ने 3 वर्ष पहले शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) और सीवेज पंपिंग स्टेशनों (एसपीएस) का 15 साल तक रखरखाव और संचालन करने के लिए केआरएमपीएल को ठेका दिया था। लेकिन, कंपनी अधिकतर मौकों पर फेल हुई।
पंपों के खराब होने की वजह से सीसामऊ नाले से ही कई दिन करोड़ों लीटर सीवेज गंगा में गिरा, वहीं, दूसरे एसपीएस के रखरखाव में भी कंपनी ने घोर लापरवाही की, जिसपर एफआईआर, जुर्माने की कार्रवाई हुई लेकिन कंपनी आज भी शहर में डटी हुई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) महानिदेशक ने तो यहां तक कह दिया था कि केआरएमपीएल द्वारा सीवेज शोधन के समुचित प्रबंधन नहीं किए जाने के कारण नई एजेंसी का चयन किया जाए।
एफआईआर, जुर्माने की कार्रवाई भी रही बेअसर
केआरएमपीएल की लापरवाही से सीसामऊ नाले से कई लाख मीट्रिक टन सीवेज गंगा में गिरता रहा। जलनिगम ने कंपनी के अधिकारियों पर एफआईआर तक दर्ज कराई। यूपीपीसीबी, जलनिगम अब तक कंपनी पर लगभग 20 करोड़ रुपये जुर्माना लगा चुकी हैं। लेकिन कई नोटिस और कार्रवाई बेअसर रही हैं।
सीवर लाइन डायवर्जन में की गड़बड़ी
पिछले दिनों जिलाधिकारी की समीक्षा बैठक में पाया गया कि मेट्रो ने तीन स्थानों पर सीवर लाइन का डायवर्जन किया। जिसमें बड़े चौराहे मैकराबर्टगंज में भी डॉयवर्जन का कार्य किया गया। बड़े चौराहे पर सीवर लाइन का डायवर्जन किए जाने के कारण सीसामऊ नाले से होकर अशोधित पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है।
इस संबंध में महाप्रबंधक जलकल, अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड-प्रथम जल निगम (नगरीय), अधिशासी अभियंता (सिविल) उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन को संयुक्त रूप से डायवर्जन किए गए पाइप लाइन, मैनहोल की सफाई कराते हुए पाइप लाइन को पूर्व की भांति करने के निर्देश दिये गये हैं।
15 टेनरियों को नई कन्वेशन लाइन से जोड़ा
जाजमऊ स्थित 346 टेनरियों का इलेक्ट्रोमैगनेटिक फ्लो मीटर लगाकर नई कन्वेशन लाइन के साथ कनेक्शन किया जाना है। डीएम ने समीक्षा के दौरान पाया कि अब तक मात्र 15 टेनरियों को नई कन्वेशन लाइन के साथ जोड़ा गया है और 5 टेनरियों को जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। इस संबंध में जिलाधिकारी ने जटेटा के सचिव को निर्देशित किया कि 15 दिनों के अंदर समस्त टेनरियों का नई कन्वेशन लाइन के साथ कनेक्शन किया जाये।
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