46 वर्ष पहले जिन दरिंदों ने संभल के अंदर नरसंहार किया, उन्हें आज तक सजा क्यों नहीं मिली, विपक्ष पर हमलावर हुए योगी

46 वर्ष पहले जिन दरिंदों ने संभल के अंदर नरसंहार किया, उन्हें आज तक सजा क्यों नहीं मिली, विपक्ष पर हमलावर हुए योगी

अमृत विचार, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल, उपराष्ट्रपति व माननीय न्यायमूर्ति को लेकर विपक्ष के मुद्दों को जनता के समक्ष रखते हुए कहा कि भारत की विरासत के प्रति बोलने वालों को धमकी दी जाती है। सीएम ने सच को दबाने वाले, संविधान का गला घोंटने वाले ऐसे दलों के लोगों की मानसिकता को उजागर करने की अपील की। सीएम ने बेबाकी से कहा कि 46 वर्ष पहले जिन दरिंदों ने संभल के अंदर नरसंहार किया, उन्हें आज तक सजा क्यों नहीं मिली। 

सीएम योगी ने कहा कि कल संसद में चर्चा संविधान पर हो रही थी और मुद्दा संभल का उठ रहा था। विपक्षियों पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हीं के समय में 46 वर्ष पहले संभल में जिस मंदिर को बंद कर दिया गया, वह मंदिर फिर से सबके सामने आ गया और इनकी वास्तविकता को प्रस्तुत कर दिया। संभल में इतना प्राचीन मंदिर, बजरंग बली की प्राचीन मूर्ति व ज्योतिर्लिंग रातों रात तो नहीं आया होगा। उन्होंने कहा कि 46 वर्ष पहले जिन दरिंदों ने संभल के अंदर नरसंहार किया था, उन्हें आज तक सजा क्यों नहीं मिली। संभल में जिनकी निर्मम हत्या हुई, उन निर्दोषों का क्या कसूर था। जो भी सच बोलेगा, उसे धमकी दी जाएगी, मुंह बंद कराने का प्रयास होगा। 

भारत की विरासत के प्रति बोलने वालों को मिलती है धमकी 
सीएम ने कांग्रेस के दोहरे चरित्र को उजागर करते हुए कहा कि जो लोग भारत का ठेका लेकर घूमते हैं और डिस्कवरी ऑफ इंडिया को भारत का सबसे प्राचीन ग्रंथ मानते हैं। वे संविधान के नाम पर पाखंड कर रहे हैं। 9 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि से संबंधित फैसला दिया, लेकिन ऐसे लोग आज भी जज को धमकी देते हैं। राज्यसभा के सभापति (उप राष्ट्रपति) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उनकी आवाज को दबाना चाहते हैं। सभापति ने कर्तव्यों के निर्वहन की बात की और कहा कि सदन चलना चाहिए। जनता से जुड़े मुद्दे सदन में रखे जाने चाहिए। इस पर इन लोगों (विपक्षियों) ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दी। 

सच को दबाने वाले लोगों को नंगा करना चाहिए 
सीएम योगी ने कहा कि उपराष्ट्रपति अपनी योग्यता व क्षमता के बल पर संवैधानिक मर्यादा का पालन करते हुए उच्च सदन का संचालन कर रहे हैं। विरोधियों को चिंता है वे कर्तव्यों का निर्वहन न कर सकें,  कि किसान का पुत्र कैसे वहां तक चला गया। यह परिवार विशेष की बपौती हुआ करती थी। न्यायमूर्ति एक नागरिक के रूप में सच्चाई को रखते हैं तो उन्हें धौंस दी जाती है। यह लोग सच बोलने वाले को महाभियोग का धौंस देकर उसके मुंह को बंद करने का प्रयास करेंगे, फिर भी संविधान की दुहाई देंगे। यह दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। सच को दबाने वाले ऐसे लोगों को नंगा करना चाहिए। 

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