सर्दी के मौसम में दिल और फेफड़े के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत: हार्ट सर्जरी के बाद दवा छोड़ना पड़ सकता भारी

अप्रैल से अक्टूबर तक 25-60 वर्ष के 5340 मामले किए गए रिपोर्ट

सर्दी के मौसम में दिल और फेफड़े के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत: हार्ट सर्जरी के बाद दवा छोड़ना पड़ सकता भारी

कानपुर, अमृत विचार। सर्दी के मौसम में दिल और फेफड़े के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर जो लोग सर्जरी कराने के बाद दवा का सेवन करना छोड़ देते हैं या अपने मन से दवा खाते रहते हैं। सर्दी में दवा की डोज जरूर सेट करानी चाहिए।

रावतपुर स्थित एलपीएस कॉर्डियोलॉजी संस्थान ने अप्रैल से लेकर अक्टूबर माह तक की एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमे 5340 केस शामिल हैं। इस रिपोर्ट में 25 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक के मरीजों के केस हैं। इन केसों में वह मरीज शामिल हैं, जिन्होंने बाईपास सर्जरी के बाद खुद को एक दम फिट माना और धीरे-धीरे करके दवा को छोड़ दिया या कभी तकलीफ होने पर ही दवा खाई। 

ब्लड प्रेशर व डायबिटीज तक भी दवा नियमित की जगह अनियमित की। अब सर्दी बढ़ने पर ऐसे मरीजों की समस्या भी बढ़ने लगी है। कॉर्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक डॉ.राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि बाईपास सर्जरी कराने वालों के लिए शुरुआती सर्दी बेहद खतरनाक और कष्टदायी मानी जाती है। इस मौसम में ऑक्सीजन के साथ हृदय को ब्लड की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए दवा लेने में जरा सी भी लापरवाही की तो जान पर संकट भी मंडरा सकता है। 

उन्होंने बताया कि बाईपास सर्जरी की जरूरत हृदय की धमनियों के ब्लॉक होने, 100 फीसदी बंद होने के अलावा कैल्शियम ज्यादा होने पर की जाती है। करीब 10 साल पहले बाईपास सर्जरी के दौरान हृदय को पूरी तरह रोक दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मशीन की मदद से हृदय के उस भाग को ही अब रोका जाता है जिसमें ब्लॉकेज व परेशानी होती है। 

कॉर्डियोलॉजी में ओसीटी की सुविधा 

निदेशक डॉ. राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि धमनी के अंदर कितना थक्का जमा है, थक्के का प्रकार कैसा है, थक्के में कैल्शियम जमा है या नहीं, धमनी का कितना भाग बीमारी से ग्रसित है व ब्लॉक कितना बड़ा है। स्टेंट किस साइज और लंबाई का लेना है। 

स्टेंट सही से धमनी से चिपका है या नहीं और स्टेंट लगाते समय कोई धमनी में कट तो नहीं आया है। इन सब बातों का अब समय रहते ओसीटी (ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी) की सुविधा से पता लगाया जा सकता है। इससे जटिलताओं पर भी रोक लगेगी। ओसीटी में इंफ्रारेड लाइट के द्वारा एक कैथेटर के माध्यम से हृदय की धमनी के अंदर जाकर पूरी धमनी की फोटोग्राफी की जा सकती है।

केस -1

शहर के एक 55 वर्षीय अधेड़ की करीब एक साल पहले सर्जरी हुई थी, सर्जरी के बाद उन्होंने खुद को पूरी तरह फिट समझने के बाद बीपी, शुगर व अन्य जरूरी दवाओं से दूरी बना ली। उन्हें अचानक से हृदय संबंधी दिक्कत हुई तो उनकी जान पर आफत आ गई।

केस-2

ग्रामीण क्षेत्र की एक 60 वर्षीय महिला की करीब नौ माह पहले बाईपास सर्जरी हुई थी। डॉक्टरों ने उन्हें पहले की तरह नियमित रूप से दवाएं लेने की सलाह दी। लेकिन सर्जरी के कुछ दिनों बाद उन्होंने दवाएं लेनी बंद कर दीं, जिसकी वजह से उनकी जान पर बन आई थी।

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