Prayagraj : पिता की मृत्यु का झूठा दावा कर मामले में स्थगन लेने वाले अधिवक्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश

Prayagraj : पिता की मृत्यु का झूठा दावा कर मामले में स्थगन लेने वाले अधिवक्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पिता की मृत्यु का झूठा दावा करके एक मामले में स्थगन आदेश लेने वाले एक अधिवक्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश देते हुए कहा कि अधिवक्ता का कृत्य दुराचार के समान है, क्योंकि उसने झूठे दावे के आधार पर स्थगन प्राप्त किया था।

अधिवक्ता का आचरण न्यायिक दृष्टिकोण से अनुचित है। मामले को यूपी बार काउंसिल को भेजने का निर्देश दिया, जिससे अधिवक्ता शिव प्रकाश से स्पष्टीकरण लेकर दो महीने के भीतर अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत उचित कार्रवाई की जा सके। उक्त आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत अपर जिला मजिस्ट्रेट और खाद्य सुरक्षा अपीलीय न्यायाधिकरण, मुरादाबाद द्वारा पारित आदेशों को चुनौती देने वाली गोहर और 2 अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए पारित किया।यह मामला मुरादाबाद में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा 4,000 लीटर मिलावटी दूध और संबंधित सामग्री की बरामदगी से जुड़ा था।

कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अधीनस्थ न्यायालयों के आदेश में हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा। वर्तमान मामले के अनुसार याचियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शिव प्रकाश ने अपने पिता की मृत्यु का हवाला देते हुए अपने जूनियर के माध्यम से दो अलग-अलग मौकों पर स्थगन की मांग की। हालांकि राज्य के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अधिवक्ता प्रकाश के बार काउंसिल पंजीकरण में उन्हें "स्वर्गीय" श्याम लाल तिवारी का पुत्र बताया गया है। गत 12 मार्च को अधिवक्ता प्रकाश के जूनियर ने एक बार फिर बयान दिया कि उसके सीनियर के पिता की मृत्यु हो गई है और मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया, लेकिन कोर्ट ने अधिवक्ता प्रकाश को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया। जब कोर्ट ने अधिवक्ता प्रकाश से पूछताछ की तो उसने स्वीकार किया कि उसके पिता का निधन उसके वकालत के पेशे में आने से पहले ही हो चुका था। इस कदाचार को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया

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