Unnao: पारंपरिक खेती छोड़ अदरक की खेती कर झोली भर रहे ‘इंद्रमोहन’...अन्य किसानों को भी खेती करने के लिए करते है प्रेरित
उन्नाव, हसनगंज, (लोकेन्द्र सिंह)। धान व गेंहू की फसलों में लागत व मेहनत की अपेक्षा कम मुनाफा होने से किसान अब परंपरागत खेती छोड़ अधिक मुनाफे वाली खेती की ओर रुझान कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन औषधीय फसलों की खेती में लागत भी काफी कम आती है।
इन फसलों में एक अदरख भी है। अदरख एक ऐसी फसल है, जिसका इस्तेमाल खाने के अलावा दवाई के रूप में भी किया जाता है। यही वजह है कि इसकी मार्केट में हमेशा डिमांड बनी रहती है।
तहसील क्षेत्र के बीबीपुर चिरियारी निवासी किसान इंद्रमोहन सिंह ने रहमानखेड़ा कृषि अनुसंधान केंद्र मलिहाबाद से निशुल्क बीज व जानकारी लेने के बाद दो बीघे आम के बाग में अदरख की बुआई की है। उनका कहना है कि दो बीघे में बीज तैयार कर रहे हैं इसकी खुदाई करने के बाद करीब 15 बीघे में फसल तैयार करेंगे।
इससे हमें आम के आम गुठलियों के भी दाम मिलेंगे। अदरख की बाजार में काफी डिमांड है और कीमत भी अच्छी मिल जाती है। जिससे मुनाफा भी अच्छा होगा। उन्होंने कहा df ककिसानों को मालूम होना चाहिए कि पारंपरिक फार्मिंग के अलावा भी और कई तरह की ऐसी औषधीय फसलें हैं जिनकी खेती कर वे अच्छी कमाई कर सकते हैं।
कैसे फसल को करें तैयार
अदरख की बुआई करने से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए। 10 से 12 टन गोबर और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डाल दें। फिर खेत की जुताई करने के बाद उसे समतल कर दें।
इसके एक हफ्ते बाद एक बार फिर से खेत की जुताई करने के बाद अदरख बोई जा सकती है। ध्यान रखें कि अदरख बोते समय कतारों के बीच 30 से 40 सेंमी की दूरी होनी चाहिए। इसकी समय-समय पर सिंचाई भी करते रहें। फसल तैयार होने पर किसान 5 एकड़ जमीन से लाखों कमा सकता है।
अदरख है औषधीय गुणों से भरपूर
विशेषज्ञों के अनुसार अदरक औषधीय गुणों से भरपूर है। चाय में इसका सेवन करने पर सर्दी, जुकाम व खांसी ठीक होती है। साथ ही सब्जी में अदरक का पेस्ट बनाकर डालने से उसका स्वाद बढ़ता है।
खासकर सर्दी में शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए अदरक को सोंठ के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में किसान अगर थोड़ी जमीन पर भी अदरक की खेती करते हैं तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी।
बोले कृषि अधिकारी…
जिला कृषि अधिकारी शशांक चौधरी ने बताया कि अदरक की खेती चिकनी व भुरभुरी मिट्टी में की जाती है। इसकी फसल करीब 180 दिन में तैयार होती है और एक एकड़ में इसकी औसतन पैदावार 80 कुंटल होती है। एक एकड़ में करीब 600 किलो बीमारी रहित गांठों का प्रयोग किया जाता है।
फसल बोने के बाद रोगों से बचाव के लिए किसानों को विभाग से सलाह लेकर फसल का उपचार करते रहना चाहिए। अदरक की फसल में मक्खी, पत्तों पर धब्बे और कीट जैसी बीमारियां लगती हैं। सही उपचार से इस पर काबू पाया जा सकता है। जिसके बाद इसकी खुदाई कर पानी से अच्छी तरह धोकर छांव में सुखाया जाता है। इसके बाद अदरक बाजार में बेचने के लिए तैयार हो जाती है।
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