पीलीभीत : आजादी से पहले ही विदेशों में थी पीलीभीत के जंगल की धमक
ब्रिटिश अफसर शेरपुर के जमीदारों के साथ करते थे बाघों व अन्य वन्य पशुओं का शिकार
सुनील यादव, पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत का जंगल बाघों समेत अन्य वन्यजीवों के लिए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद से यहां व्यवस्थित रूप से बाघों के संरक्षण पर काम किया गया। हालांकि ये जंगल आजादी के पूर्व से ही विदेशों तक धमक बनाए था। ब्रिटिश हुकूमत के समय बाघों को देखने के लिए नामचीन विदेशी हस्तियां आती रहीं और वन्यजीवों के दीदार के साथ बाघों का शिकार किया जाता था।
1947 में ब्रिटिश मिलिट्री ऑफिसर कर्नल जेम्स एल स्लीमन द्वारा लिखी गई पुस्तक फ्रॉम राइफल टू कैमरा: रिफॉर्मेशन ऑफ ए बिग गेम हंटर में पीलीभीत के जंगल और बाघों का जिक्र किया गया है। भारत में ब्रिटिश कमांडर इन चीफ लॉर्ड कैचेज ने यहां 14 दिन में कई बाघों का शिकार किया था। बेहतर जलवायु और जैवविविधता के चलते टाइगर रिजर्व बनने के बाद बाघ संरक्षण की दिशा में उठाए गए प्रभावी कदम के बाद यहां बड़ी संख्या में बाघों का कुनबा फल-फूल रहा है। इसके लिए टाइगर रिजर्व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड जीत चुका है। पिछली गणना के मुताबिक यहां 71 से अधिक बाघ हैं। हालांकि कुछ जानकार यहां और ज्यादा बाघ होने का दावा कर रहे हैं। जैसे-जैसे बाघों की संख्या बढ़ रही है, जंगल छोटा होता जा रहा है।
बहरहाल पीलीभीत का जंगल आजादी के पूर्व से ही देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मशहूर रहा है। यहां के जमींदार अंग्रेज शासकों को बुलाकर शिकार कराते थे। बताया गया कि 1870 में महारानी विक्टोरिया के परिवार के लोग भी यहां शिकार करने आ चुके हैं। अंग्रेज गवर्नर लॉर्ड म्युज्जल सेलेमन व अन्य गवर्नर यहां के जंगलों में भ्रमण कर चुके हैं। हालांकि अंग्रेज यहां केवल बाघों का शिकार करने आते थे। यहां के भारी-भरकम बाघ एक बार फिर पीलीभीत टाइगर रिजर्व का मान बढ़ा रहे हैं।
फ्राम राइफल टू कैमरा पुस्तक में है जंगल और बाघों का जिक्र
कमांडर इन चीफ लार्ड कैचेज के मिलिट्री सेक्रेटरी कर्नल एलिस के पौत्र कर्नल जेम्स एल स्लीमन ने अपनी पुस्तक फ्रॉम राइफल टू कैमरा: दि रिफार्मेशन ऑफ ए बिग गेम हंटर में शेरपुर के शिकारी और यहां के जंगलों में बाघों की संख्या का जिक्र किया है। वर्ष 1947 में प्रकाशित इस पुस्तक के चेप्टर पांच में उन्होंने शेरपुर के जमींदार बाला खान और मंगल खान के बुलावे पर यहां के जंगल में शिकार आदि का जिक्र किया है। इस पुस्तक में उन्होंने तराई और उसके आसपास के जंगल तथा इसमें रहने वाले वन्यजीवों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि यहां के वन्यजीव कितने खतरनाक हैं। यह भी लिखा है कि बाला खान ने उनके दादा मिलिट्री सेकेट्ररी कर्नल एलिस को भी शिकार के लिए बुलाया था।
वन्य जीवों के लिए अनुकूल वातावरण
मनीष सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने बताया कि उच्चाधिकारियों के सहयोग से वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास चल रहे हैं। वन्यजीवों के लिए यहां का वातावरण खासा अनुकूल है। बाघों समेत अन्य वन्यजीवों की संख्या में भी वृद्धि देखी जा रही है। आने वाले समय में पीलीभीत टाइगर रिजर्व एक मिसाल कायम करेगा।
ये भी पढ़ें - बरेली: ड्राइवर हॉर्न बजाता रहा पर ट्रैक से नहीं हटा छात्र, ट्रेन से कटकर दर्दनाक मौत