कासगंज: ढूंढे नहीं मिल रही डीएपी, किसानों को फिलहाल करना पड़ेगा इंतजार
रवि की फसल बुवाई को लेकर अभी से हुई समस्या
कासगंज, अमृत विचार। जब-जब फसल बुआई का समय आता है तब-तब जिले में खाद का संकट किसानों को झेलना पड़ता है। अब रबी फसल की बुवाई का समय नजदीक आया है तो किसानों के सामने खाद की समस्या फिर से खड़ी हो गई है। डीएपी खाद ढूंढे नहीं मिल रही। इसको लेकर किसानों में आक्रोश दिखाई दे रहा है। इस बीच स्पष्ट हुआ है कि डीएपी का संकट बरकरार रहेगा। किसानों को अभी पांच दिन तक इंतजार करना होगा।
जिले की अधिकतर सहकारी समितियों पर डीएपी खाद खत्म हो गई है। किसान परेशान हैं। उन्हें गेहूं की बुवाई की चिंता सता रही है। इस समय गेहूं, जौ की फसल की बुवाई का सीजन चल रहा है। पिछले दिनों तक 2827 मीट्रिक टन डीएपी खाद की आपूर्ति की जा सकी है, लेकिन जरूरत अभी 61 सौ मीट्रिक टन की है। अधिकतर समितियों पर खाद खत्म हो चुकी है। किसी समिति पर खाद बची भी है तो वह इतनी नहीं है कि किसानों की जरूरत पूरी हो सके। खाद समाप्त होने से समितियों पर ताले लटक गए हैं। नतीजा खाद लेने पहुंचे किसान ताला लटका देख कर लौट जाते हैं। गेहूं की फसल दिसंबर के पहले पखवाड़े तक बोई जाएगी, लेकिन किसानों के सामने खाद का संकट आ गया है। उनकी चिंता बढ़ गई है। किसानों को अपनी फसल की बुवाई के पिछड़ने का डर लगने लगा है। विभाग की मानें तो अभी खाद की रैक को आने में पांच दिन का समय लग सकता है। जिला कृषि अधिकारी अवधेश मिश्रा ने बताया कि फसलों का रकबा बढ़ जाने के कारण उर्वरको की मांग बढ़ गई है। फिलहाल डीएपी की उपलब्धता नहीं है। 15 नवंबर तक डीएपी आने की संभावना है।
फसलों पर एक नजर
- 45 सौ हेक्टेयर में आलू की होती है फसल
- 65 सौ हेक्टेयर में हरी मटर
- 17 200 हेक्टेयर में सरसों की फसल
- 2460 हेक्टेयर में दलहन की फसल
- 15 सौ हेक्टेअर में सब्जियों की फसल
- 98 हजार हेक्टेअर में गेंहू जौ की फसल