Sharda Sinha: कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया...भारत से मॉरीशस तक सिसक उठा शारदा का संगीत
शबाहत हुसैन विजेता, लखनऊ, अमृत विचार: शारदा सिन्हा ने छठ पर 62 गीतों को अपनी आवाज से सजाया। शारदा सिन्हा की आवाज के बगैर छठ महापर्व अधूरा सा है, लेकिन अजब संयोग है कि छठ महापर्व से सिर्फ कुछ समय पहले ही शारदा सिन्हा ने हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं। शारदा सिन्हा बिहार में पैदा हुई थीं, लेकिन पूरी भोजपुरी बेल्ट में सबसे पसंदीदा गायिका थीं। उनकी गायकी के दीवाने भारत से लेकर मॉरीशस तक में हैं। छठ से पहले सभी को एक बड़ा झटका लगा है।
मंगलवार शाम से तीन बार शारदा सिन्हा की मौत की खबर उड़ी। उनके बेटे अंशुमान को कहना पड़ा कि प्लीज अफवाहें मत फैलाइए। उनके लिए प्रार्थना करिए। मगर रात में उड़ी मौत की खबर सच में बदल गई। अब सब दुखी हैं इस खबर से। शारदा सिन्हा की मौत की अफवाहें कई बार उड़ी हैं। पहली बार 25 अगस्त 2020 में उनकी मौत की अफवाह उड़ी थी और तब शारदा सिन्हा ने बिहार सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि बार-बार अपनी मौत की खबर से आहत हूं, क्या बिहार सरकार की साइबर क्राइम शाखा इसकी जांच भी नहीं करा पाती।
दरअसल हुआ यूं कि 25 अगस्त 2020 को बिहार में एक महिला दरोगा की कोरोना से मौत हो गई। इत्तेफाकन उसका नाम भी शारदा सिन्हा था। किसी ने शरारतन दरोगा शब्द को हटा दिया और शारदा सिन्हा की मौत की खबर को वायरल कर दिया। कुछ दिन बाद फिर उनकी मौत की खबर उड़ी और दिन भर उनके घर का फोन घनघनाता रहा। तब भी उनके पुत्र अंशुमान ने मां के जिन्दा होने की बात कही और अफवाहों का खंडन किया।
लखनऊ से उनका कनेक्शन बहुत गहरा था
लखनऊ में शारदा सिन्हा के चाहने वाले बहुत हैं, लेकिन शारदा सिन्हा की धड़कनों में भी लखनऊ धड़कता था। 1971 में एचएमवी का ऑडिशन देने वह अपने पति के साथ ही लखनऊ आई थीं। ऑडिशन में वह रिजेक्ट हो गईं तो उनके पति ने कहा कि कहीं कुछ गड़बड़ हुई है। दोबारा ऑडिशन होना चाहिए। दोबारा ऑडिशन हुआ, वह सेलेक्ट हुईं, फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं।
शारदा सिन्हा की पति के साथ थी शानदार केमेस्ट्री
राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर डॉ. बृजकिशोर सिन्हा के साथ उनकी शादी हुई थी। शारदा सिन्हा संगीत के लिए जीती थीं तो पति उनके संगीत की स्वर लहरियों में बड़ा सुकून महसूस करते थे। अक्सर वह उनके कार्यक्रमों में साथ रहा करते थे। दोनों ने साथ में बड़ा अच्छा जीवन जिया, लेकिन इत्तफाक है कि इसी 22 सितम्बर को बृजकिशोर सिन्हा की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई थी और सिर्फ डेढ़ महीने बाद ही शारदा सिन्हा ने भी अपने पति की राह पकड़ ली। वेंटीलेटर पर जिन्दगी का संघर्ष करतीं शारदा सिन्हा जैसे अपना ही गीत गुनगुना रही हों, कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया...
छठ पर बहुत याद आएंगी शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा के बगैर ही इस बार का छठ महापर्व बीतेगा। आगे होने वाले छठ पर्व पर भी शारदा सिन्हा कभी नहीं होंगी, लेकिन जब केलवा के पात पर उगेलन सुरज देव जैसे मनभावन गीत गूंजेंगे तो मन यही कहेगा कि कौन कहता है कि नहीं हैं शारदा सिन्हा। उनकी आवाज उन्हें जिन्दा रखेगी। उनके गाये गीत उन्हें कभी मरने नहीं देंगे।
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