तंत्रमंत्र के चक्कर में खतरे में उल्लू की जान, दिवाली में न करें उल्लू की बिक्री, वन विभाग ने दी चेतावनी

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: तंत्रमंत्र पूजा में उल्लू की मांग होने के कारण उनके शिकार का खतरा बढ़ जाता है। इसी के चलते उल्लू की सुरक्षा को लेकर वन विभाग ने सतर्क हो गया है। लखनऊ से सटे जंगल के साथ पिकनिक स्पॉट और मलिहाबाद क्षेत्र में विशेष चौकसी के निर्देश दिये गए हैं। उल्लू की तस्करी को रोकने के लिए पुलिस को भी एलर्ट किया गया है। विभागीय अधिकारियों क अनुसार उत्तर प्रदेश के दुधवा और अन्य टाइगर रिजर्व में भी चौकसी बढ़ा दी गई है। अधिकतर उल्लू तस्करी कर उत्तराखंड से लाये जाते हैं। ऐसे में वहां से आने वाले वाहनों पर भी नजर रखी जा रही है।

बताते चलें कि लखनऊ में उल्लू की तस्करी को लेकर पहले भी तस्कर पकड़े जा चुके हैं। पॉलीटेक्निक के पास से सफेद उल्लू (बार्न आउल) के दो जोड़े पकड़े गए थे। एक पिंजरे में बंद इन उल्लुओं को मुंबई ले जाया जा रहा था। पुलिस ने इसे पकड़ कर लखनऊ प्राणि उद्यान के हवाले किया। वहां पर इन उल्लुओं को रात्रिचर प्राणि बाड़ा (नाकटर्नल हाउस) में रखा गया। इसके बाद भी लखीमपुर, सीतापुर और रायबरेली के पास से उल्लुओं को आजाद कराया गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार तंत्रमंत्र और टोटके के चक्कर में लोग उल्लू का प्रयोग करते हैं। मान्यता है कि तंत्र पूजन में उल्लू का उपयोग होने से लक्ष्मी की कृपा होती है। इसी के चलते इनकी डिमांड बढ़ती है। एक-एक उल्लू 20 हजार से एक लाख रुपये तक बिकता है। वन विभाग के अधिकारियों ने उल्लू को लेकर एलर्ट जारी कर दिया है। सभी जगहों पर चौकसी बढ़ा दी गई है। लखनऊ में नक्खास स्थित पक्षी बाजार पर भी नजर रखी जा रही है।

लखनऊ प्राणि उद्यान के मुख्य वन्य जीव चिकित्सक और वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. उत्कर्ष शुक्ला के अनुसार हर वर्ष दीपावली पर उल्लू को लेकर सावधानी बरतनी पड़ती है। सहायक वन संरक्षक पीयूष मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि जन सामान्य को भी इसमें मदद करनी चाहिए। पक्षियों को बचाने की जिम्मेदारी सभी की है। वन विभाग ने उल्लू का शिकार रोकने को एलर्ट जारी किया है।

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