कबीरधाम: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलौत की सलाह, कहा- नेक राह पर चले लोग

कबीरधाम: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलौत की सलाह, कहा- नेक राह पर चले लोग

अलीगंज,लखीमपुर खीरी,अमृत विचार। कबीरधाम मुस्तफाबाद में 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय संत असंग देव के सानिध्य में स्मृति एवं जन्मोत्सव मेला का समापन ढोल, नगाड़े की धुन पर हर्षाल्लास के साथ किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलौत को असंग देव ने चांदी का मुकुट भेंट कर आशीर्वाद दिया। राज्यपाल ने आश्रम परिसर में बादाम का पौधा लगाकर सत्संग में लोगों को नेक राह पर चलने की सलाह दी।

कबीरधाम पर राष्ट्रीय संत असंग साहब के जन्मोत्सव में मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, पटना और क्षेत्रवासियों ने जन्मोत्सव एवं सत्संग का आनंद पाया। राष्ट्रीय संत असंग साहेब के 58 वें जन्मदिन पर 5800 दीप प्रज्वलित कर 58 महामंगल आरती की गई। मुख्य अतिथि कर्नाटक राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कबीरधाम आश्रम के सुखद सत्संग पंडाल में पहुंचकर दीप प्रज्वलित कर, फीता काटकर सत्संग की शुरुआत कराई। उन्होंने असंग देव का माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया। असंग साहब ने उन्हे बरेली के सोने चांदी के आभूषण विक्रेता दयाशंकर वर्मा द्वारा दिया गया चांदी का मुकुट भेंट किया। राज्यपाल ने आश्रम में बने क्षमा देव, गुरमन देव मंदिर का उद्घाटन कर दोनों मूर्तियों पर माल्यार्पण कर महान संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। आश्रम में बादाम का पौधा भी रोपा। सत्संग में राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि भारत सोने की चिड़िया थी और फिर से भारत की सोने की चिड़िया हो जाएगा। कबीर देव जी धन्य हैं, धन्य क्षमा महाराज, गुरमन देव भी धन्य हैं, करो सफल मम काज।

राष्ट्रीय संत असंग देव ने सुनाया कि दोस्त पराए देखि कर, चला हसत हसन। अपने याद न आवै जिनका आदिना अंत।। इसका अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि यह मनुष्य का स्वभाव है कि जब वह दूसरों के दोष देखकर हंसता है तब उसे अपने दोष याद नहीं आते, जिनका न आदि है न अंत। अगर जिंदगी में कुछ पाना है तो उसके लिए आराम को त्यागना अति आवश्यक है। मनुष्य को हमेशा मौका नहीं ढूंढना चाहिए क्योंकि जो आज है वही सबसे अच्छा मौका है।

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