कासगंज: अनुशासन और एकता के संदेश के साथ आरएसएस ने किया पथ संचलन

आरएसएस के स्थापना दिवस पर स्वयं सेवकों ने शहर में किया पथ संचलन

कासगंज: अनुशासन और एकता के संदेश के साथ आरएसएस ने किया पथ संचलन

कासगंज,अमृत विचार। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि की प्रार्थना के साथ स्वयं सेवकों ने पथ संचलन कर स्थापना दिवस मनाया।  विजयदशमी पर हर बार की तरह इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तमाम कार्यकर्ताओं ने पथ संचलन कर अपनी ताकत दिखाई। पथ संचलन कासगंज शहर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। स्वयं सेवकों ने एकता और अनुशासन का परिचय दिया। 

कासगंज शहर के प्रभु पार्क में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सैकड़ों कार्यकर्ता एकत्रित हुए। सभी कार्यकर्ता संघ के मुताबिक अनुशासन और पूर्ण गणवेश में दिखाई दिए। सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने इस बार भी पूरे पारंपरिक रुप से एकत्रित होकर राष्ट्रीय समस्याओं पर विचार विमर्श व्यक्त करने के बाद सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने एक साथ पूरी गर्म जोशी के साथ संघ के ध्वज को प्रणाम किया और बाद में सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने पूर्ण गणवेश को पहनकर कासगंज के प्रमुख मार्गों से होते हुए नगर में संघ के घोष बजाते हुए अपना पथ संचलन निकाला। इस मौके पर संघ चालक उमाशंकर बौद्धिक प्रमुख वंश गौड, नगर संघ चालक शरद माहेश्वरी,  जिला सेवा प्रमुख जोगेंद्र सिंह,  विश्व हिन्दू परिषद  के जिलाध्यक्ष प्रमोद साहू,  मोहित कुमार, शारीरिक प्रमुख अनिरुद्ध शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष केपी सिंह सोलंकी सहित बड़ी संख्या में स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे।

यहां से हुई शुरुआत 
पथ संचलन की शुरुआत कासगंज शहर के नदरई गेट स्थित प्रभु पार्क मैदान से की गई। बता दें इस पथ संचलन में हर उम्र के व्यक्ति ने हिस्सा लिया और पथ संचलन में इस बार छोटे छोटे बच्चों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। पथ संचलन में वे भी बड़े लोगों के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चे भी पथ संचलन निकालते समय उत्साह से काफी लबरेज देखे गए। 

सुरक्षा के रहे कड़े इंतजाम 
पथ संचलन के दौरान पुलिस प्रशासन भी अलर्ट रहा और पुलिस ने इस पथ संचलन शहर में निकलने के दौरान बड़े वाहनों का रूट भी डायवर्जन किया और शहर के अंदर ई रिक्शा और बड़े छोटे वाहन भी जाने से रोक दिए और मुख्य मार्गों पर बैरियर भी लगाए गए।

इसलिए निकालते हैं पथ संचलन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बौद्धिक कर्ता के रूप में उपस्थित सह प्रांत बौद्धिक प्रमुख वंश गौड़ ने अध्यक्षता की। संघ चालक उमा शंकर ने  बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन 1925 में हुई थी और यह पथ संचलन शौर्य का प्रतीक भी है और हमारे संघ के कार्यकर्ता एक अनुशासन में नगर में पथ संचलन करते हैं। ये किसी को दिखाना हमारा उद्देश्य नहीं है। अपने अंदर जो अनुशासन का भाव है, वो जागरूक रहता है और समय समय पर हमने देखा है, कि विदेशों द्वारा जो आक्रमण हम पर हुए थे, चौबीसों साल में बारह सौ आक्रमण हुए थे, जो ओर दो साल में एक आक्रमण ऐसा हुआ देश की रचना भिन्न भिन्न हुई थी, क्योंकि हमें अपने पूर्वजों पर ओर अपने गौरव पर गर्व होना चाहिए, वो हमने छोड़ दिया था तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे ही भाव उतपन्न करता है।

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