मानसिक स्वास्थ्य को लेकर टोल फ्री नं. 14416 और 18008914416 पर करें बात, काम का दबाव और मोबाइल की लत बना रहा रोगी

अवसाद के कारण बढ़ रहीं आत्महत्याएं

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर टोल फ्री नं. 14416 और 18008914416 पर करें बात, काम का दबाव और मोबाइल की लत बना रहा रोगी

लखनऊ, अमृत विचार। काम की टेंशन और मोबाइल की लत बच्चों के साथ बड़ों को भी मानसिक रोगी बना रहे हैं। अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में ऐसे रोगियों की संख्या बढ़ी हुई है। इस साल मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय ‘कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य’ है, जो इस बात पर जोर देता है कि सुरक्षित और सहयोगी कार्यस्थल न केवल कर्मचारियों को स्थिरता और उद्देश्य प्रदान करते हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने बताया कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर न केवल व्यक्ति के कामकाज पर, बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। इसके साथ ही काम से अनुपस्थिति, नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। इन समस्याओं का सीधा असर कार्यस्थलों के साथ-साथ समाज पर भी पड़ता है। ऐसे में कर्मचारियों के प्रतिनिधि संगठनों को मिलकर ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए कामकाजी वातावरण को सुरक्षित बनाएं। इसमें उचित मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, कर्मचारियों के लिए लचीले कामकाज के घंटे, तनाव प्रबंधन के उपाय, और मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता कार्यक्रम शामिल होने चाहिए। तभी हम कार्यस्थलों पर बेहतर माहौल बना पाएंगे।

घरेलू महिलाएं भी हो रही शिकार

सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि मानसिक से जुड़ी 'निरोसिस' और साइकोसिस दो प्रमुख बीमारी हैं। निरोसिस में मरीज को अपनी बीमारी के बारे में पता चल जाता है। जबकि, साइकोसिस ग्रसित मरीज को बीमारी का पता नहीं चल पाता है। परिजन उसकी बीमारी के बारे में बताते हैं। इसमें महिलाएं ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। महिलाएं घर में रहती हैं। अपनी समस्या बता नहीं पाती इससे वह अवसाद का शिकार हो जाती हैं। इसके अलावा सिरोसिस से ग्रसित लोग अजीबोगरीब शिकायतें करते रहते हैं। जैसे कानों में अलग तरीके की आवाजें आना, उन पर किसी और के द्वारा नजर रखना, उनके द्वारा बनाये गए फार्मूले को विदेशियों द्वारा चोरी करने का प्रयास किया जा रहा है। उन पर नजर रखी जा रही है आदि दावे करते हैं।

केस-1 : अलीगंज की रहने वाली सीमा एक कंटेंट राइटर के तौर पर ऑनलाइन काम करती थी। शुरुआत में असमय काम आता था तो उन्हें दिक्कत नहीं होती क्योंकि वह काम सीख रही थी। पर जब असमय काम उनकी रोज की दिनचर्या का हिस्सा बन गया। इस वजह से उन्हें कई तरह की दिक्कतें होने लगीं। अत्यधिक काम की वजह से नींद न पूरी होना, थकान, चिड़चिड़ापन व तनाव बढ़ने लगा। सीमा ने बताया काम के दबाव के कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा लिहाजा काम को छोड़ना पड़ा।

केस-2 : सीतापुर रोड निवासी दंपति का 15 साल का बेटा मानसिक रोग की चपेट में आ गया। दंपति के मुताबिक कोविड के समय स्कूल से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराई गई। इसके बाद होमवर्क भी मोबाइल पर आने लगा। पढ़ाई को लेकर बच्चे को मोबाइल देना मजबूरी थी। पढ़ाई के दौरान कब बेटा ऑनलाइन गेम और रील्स के फेर में फंस गया पता ही नहीं चला। उसकी हरकतों से परेशान होकर केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में दिखाया तो उसके बीमार होने की जानकारी हुई।

बचाव

-दिन की शुरुआत खुशी-खुशी अच्छी दिनचर्या से करें।
- बहुत जल्दी हताश न हो, छोटी बातों से खुश होना सीखें।
- अधिक समय मोबाइल में न बिताकर बल्कि परिवार के बीच में बैठे और घर के सदस्यों से बातचीत करें।
- अपनी दिनचर्या में व्यायाम और योग को जरूर शामिल करें।
- अच्छा और पौष्टिक खाना खाए।
- परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए बाहर घूमने जाएं।
- अगर घर में बच्चे हैं तो कुछ समय उनके साथ खेलने कूदने में बिताएं।
- किसी भी बात को लेकर अधिक न सोचे, अगर आपके दिमाग में कोई बात चल रही है तो अपने परिजन या दोस्तों से बातों को शेयर करें।
-मानसिक स्वास्थ्य जानकारी के लिए उपलब्ध टोल फ्री 14416 और 18008914416 नंबर पर बात करें।                                                                                                          

यह भी पढ़ें: लखनऊ: UP का एक विभाग ऐसा जहां कर्मचारियों को नहीं मिलता प्रमोशन, जानिये वजह