प्रयागराज : भारतीय नागरिकों द्वारा विदेश में हुए अपराध की जांच के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी पर्याप्त

प्रयागराज : भारतीय नागरिकों द्वारा विदेश में हुए अपराध की जांच के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी पर्याप्त

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिकों द्वारा विदेश में किए गए अपराध की जांच के संबंध में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत भारतीयों द्वारा भारत के बाहर किए गए अपराध की जांच के लिए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत राज्य सरकार की सहमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार की जांच के लिए केवल केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने कल्पना महेश्वरी द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी बेटी की मौत की सीबीआई जांच करवाने की मांग लेकर दाखिल आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया। कोर्ट ने केंद्रीय कार्मिक और लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) द्वारा 2016 में जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि सीबीआई को गृह मंत्रालय से अभियोजन के लिए मंजूरी प्राप्त करने तथा उससे निपटने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। अगर भारत के बाहर कोई अपराध किया जाता है तो केवल सीबीआई ही जांच कर सकती है। इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

हालांकि विभाग के सचिव ने तर्क दिया कि धारा 188 के तहत किसी भी मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपने के लिए राज्य सरकार की सहमति एक आवश्यक शर्त है। इसके अलावा अधिनियम, 1946 के तहत सीबीआई को सरकार की सहमति के बाद डीओपीटी से भी मंजूरी प्राप्त करनी होगी, तभी मामले की जांच शुरू हो सकती है, लेकिन कोर्ट ने उक्त तर्क को खारिज करते हुए सचिव, गृह मंत्रालय को उपरोक्त आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से 15 दिनों की अवधि के भीतर आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर याची की बेटी की मृत्यु के संबंध में जांच शुरू करने का निर्देश दिया।

मालूम हो कि याची की बेटी अंशु माहेश्वरी का विवाह नवंबर 2020 में सुमित बिनानी से हुआ। शादी के बाद वे यूएसए चले गए। वहां अमेरिका के सिएटल में एक घर में हुए विस्फोट में पीड़िता की मृत्यु हो गई। इसके बाद याची ने 28 सितंबर 2023 को पुलिस स्टेशन मेडिकल कॉलेज, मेरठ में प्राथमिकी दर्ज कराई और दहेज हत्या का आरोप लगाया। मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मेरठ ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया, लेकिन आगे कोई कार्यवाही न होने पर याची ने हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की।