उन्नाव के गंगाघाट में एक ऐसा मंदिर जहां भक्तों की मुरादें होती पूरी, मंदिर के सामने बना प्राचीन तालाब

नवरात्र पर दूर दराज से दर्शन करने पहुंचते हैं भक्त

उन्नाव के गंगाघाट में एक ऐसा मंदिर जहां भक्तों की मुरादें होती पूरी, मंदिर के सामने बना प्राचीन तालाब

उन्नाव, पुनीत अवस्थी। गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सन्नी में स्थित मां कालिका का मंदिर एक अति प्राचीन और गूढ़ इतिहास को समेटे हुए है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, यह मंदिर पूर्वकाल से ही प्रतिष्ठित रहा है। मंदिर के सामने एक प्राचीन तालाब स्थित है, जो स्थानीय मान्यता के अनुसार, देवी की मूर्ति और मंदिर के मुख्य द्वार का निकास स्थान रहा है।

बता दें कि पारंपरिक कहानियों के अनुसार, पूर्व काल में विदेशी आक्रमणकारियों ने इस क्षेत्र के मंदिरों की मूर्तियों को तोड़कर तालाब में डाल दिया था। यह तालाब एक घनघोर जंगल के बीच में स्थित था, जिससे लोगों का आना-जाना मुश्किल था। किंवदंती है कि एक स्वामी जी ने गंगा किनारे इस तालाब के पास विश्राम करते हुए स्वप्न में देवी से साक्षात्कार किया, जिसमें देवी ने उन्हें अपनी मूर्ति तालाब से निकालने की प्रेरणा दी। 

स्वामी जी ने गांव वालों को इस स्वप्न के बारे में बताया, और सहयोग से देवी की मूर्ति को तालाब से निकाला गया। धीरे-धीरे मंदिर का महत्व बढ़ता गया और ग्रामीणों की मनोकामनाएं पूरी होने लगीं। आज यह मंदिर आस-पास के कई गांवों के लिए ग्राम देवी के रूप में पूजनीय है। 

उन्नाव मंदिर 1

मंदिर परिसर शंकरपुर सरॉय, सन्नी, गंगौली और कनिकामऊ के बीच स्थित है, जो आबादी से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। इसकी पहुंच के लिए तीन रास्ते हैं, जिनमें से एक डामर रोड, दूसरा कच्चा रास्ता और तीसरा ट्रांसगंगा सिटी से है। मंदिर के अंदर मां कालिका के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। 

मंदिर परिसर में भैरव बाबा, बाला जी और अन्य प्राचीन मंदिर भी हैं। भक्तों की मान्यता है कि मां कालिका के दरबार में जो भी मनोकामना की जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। इस प्रकार, मां कालिका का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और समुदाय की एकजुटता का प्रतीक है। यह मंदिर अपने प्राचीन इतिहास और वर्तमान धार्मिक गतिविधियों के चलते क्षेत्र में विशेष स्थान रखता है।

नवरात्र में लगता है भव्य मेला

चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन अष्टमी को भव्य मेला लगता है, जिसमें नवरात्रि के सभी दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। ग्रामीण समुदाय का मानना है कि नई बहू अपने घर से पहले मां के दरबार में आकर आशीर्वाद लेती है।

भक्तों की मुरादे होती हैं पूरी

सन्नी स्थित कालिका मंदिर में भक्त अपनी मुरादे मांगते हैं, जहां उनकी मुरादे पूरी होने पर विशाल भंडारे के अलावा मंदिर के जीर्णोद्धार कराते हैं। इसके साथ ही माता का भव्य श्रंगार कराया जाता है।

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