बाराबंकी: ठाकुर द्वारा मंदिर प्रकरण की जांच को पहुंचे अफसर, डीएम के आदेश पर शुरू हुई जांच
तहसील दिवस में दिया गया था पत्र
बाराबंकी, अमृत विचार। नगर में स्थित 300 वर्ष प्राचीन पुरातत्व महत्व के बड़ा ठाकुर द्वारा मंदिर निकट घण्टाघर में हो रहे भ्रष्टाचार प्रकरण में जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार के निर्देश पर तहसीलदार नवाबगंज शरद सिंह, नायब तहसीलदार प्रियंका त्रिपाठी, लेखपाल भागूराम अपनी टीम के साथ मंदिर की जांच करने पहुंचे। समाजसेवी मनीष मेहरोत्रा ने मंदिरको खुर्द-बुर्द होने से बचाने के लिए तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिया था।
मंदिर सरकारी अभिलेखों में भूमि आबादी श्रेणी दो के तहत म्युनिशपल बोर्ड अंकित है। तथाकथित ट्रस्टियों ने भू-माफिया नौशाद आलम चंदा के हाथों सन 2003 में लाखों रूपये लेकर मंदिरके अग्र भाग को बेंच दिया था। नौशाद आलम ने उस जमीन पर तीन मंजिला काम्पलेक्स खड़ा कर दिया था। 2008 में तत्कालीन डीएम रवीन्द्र नायक ने इस प्रकरण की जांच करायी थी। ट्रस्टीयों पर मुकदमा दायर कर जेल भेजा था। 2010 में मंदिर की एक दुकान बेचने पर तत्कालीन डीएम विकास गोठलवाल ने जांच करायी। फिर लोग दोषी पाये गये। वर्तमान में नौशाद आलम ने 12 दुकाने बेंच दी। पैसे के बंटवारे को लेकर मंदिरके अध्यक्ष पवन वैश्य व सचिव अजय सिंह की आपस में लड़ाई हो गई।
पवन वैश्य ने मंदिर में गबन का आरोप लगाकर अजय सिंह व उनके चहेतों को हटा दिया। जबकि अजय सिंह ने मंदिर के लाखों रूपये के जेवर हड़पने में पवन वैश्य के चहेतों को हटा अपनी नई कमेटी बना ली। मंदिर को संरक्षित करने के लिए 5 दिसम्बर को मनीष मेहरोत्रा ने प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृती मंत्री जयवीर सिंह से मिलकर मंदिर को अधिगृहित कर संरक्षित करने का पत्र दिया था जिस पर मंत्री ने पुरातत्व विभाग को निर्देश जारी किया था। इस पर राज्य पुरातत्व विभाग की निर्देशिका रेनू द्विवेदी ने एसडीएम सदर से मंदिर के खसरा, खतौनी, नजरीय नक्शा, राजस्व नक्शा, भूमि की सीमाओं की गाटा संख्या, कुल रकबा मांगा था पुनः को इस मंदिर के अभिलेख सात दिनों में उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा है।
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