Kanpur: करौली शंकर ने पूर्वजों की मुक्ति से होने वाले लाभों को बताया, बोले- शास्त्रों में बताई विधि से ही करें पूजन

Kanpur: करौली शंकर ने पूर्वजों की मुक्ति से होने वाले लाभों को बताया, बोले- शास्त्रों में बताई विधि से ही करें पूजन

कानपुर, अमृत विचार। श्री करौली शंकर महादेव पूर्वज मुक्ति धाम में शिव महिमा कथा का आयोजन किया गया। करौली शंकर महादेव ने श्रद्धालुओं को पूर्वजों की मुक्ति से होने वाले लाभ से अवगत कराया।

इस अवसर पर दूसरे राष्ट्रों से आए श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति दी। करौली शंकर ने कहा कि शास्त्रों में बताई गई विधि से ही ईश्वर का पूजन करना चाहिए। श्राद्ध, तर्पण,
पिंडदान आदि कर्मकांड करने से ही पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।

उन्होंने कहा कि हमारे गलत पूजा-पाठ के कारण पूर्वजों की मुक्ति नहीं हो पाती है। पुराने जमाने में लोग तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, जादू-टोना आदि जैसे कार्यों में रहते थे। इस वजह से वे गलत विधि से पूजा-पाठ करने लगे। शास्त्रोक्त देवी-देवताओं को छोड़कर ग्राम देवी-देवता बनाकर पूजा करने का कोई औचित्य नहीं है। 

जिन देवी-देवताओं का उल्लेख शास्त्रों में नहीं है उनका पूजन नहीं करना चाहिए। जब हम शास्त्रों का उल्लंघन करते हैं तो नकारात्मक शक्तिओं से जुड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता में कहा गया है कि देवताओं की पूजा करने वाला देवताओं, पितृों की पूजा करने वाला पितृों व भूतप्रेत की पूजा करने वाला प्रेत योनि को प्राप्त होता है। 

इसी कारण पूर्वज मरने के बाद प्रेत योनि को प्राप्त हुए और आगे जन्म न ले पाने के कारण आगे की पीढ़ियां पितृ दोष की शिकार होने लगी। जिसके कारण दुख और कष्ट उठाना पड़ा। वंशजों में तमाम असाध्य रोग हुए। जब तक पितृ मुक्त नहीं होंगे तब तक मनुष्य सुखी नहीं हो सकता।

जब तक शिव और शक्ति की कृपा एक साथ प्राप्त न हो मुक्ति असंभव है। महाराज ने कहा कि यदि आंख बंद करने पर पितृ दिखाई दे रहे हैं, इसका मतलब मुक्ति नहीं हुई। न देख पाने का मतलब पितृ सदा के लिए मुक्त हैं। अमावस्या पर लोगों ने देवी सात्विका राधा रमण से शिव महिमा कथा का अमृतपान किया। शंकर सेना के प्रदेश अध्यक्ष सुबोध चोपड़ा, कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष अरुण अग्रवाल व शंकर सेना के अन्य सदस्य शामिल हुए।

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