Gonda News: तीन डॉक्टरों के भरोसे फर्स्ट रेफरल यूनिट हॉस्पिटल, मरीजों के बोझ से कराह रही सीएचसी
करनैलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों का अभाव, महिला डॉक्टर की तैनाती न होने से नर्स के भरोसे महिलाओं का इलाज
रमेश पांडेय/करनैलगंज/गोंडा, अमृत विचार। फर्स्ट रेफरल यूनिट हॉस्पिटल का प्राप्त करनैलगंज सीएचसी मरीजों के बोझ से कराह रही है। 14 डॉक्टरों वाले इस हॉस्पिटल में महज तीन डॉक्टर ही तैनात हैं। ऐसे में मरीजों को समय से इलाज मिल पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अस्पताल में महिला डॉक्टर की तैनाती भी नहीं है। गर्भवती महिलाओं का इलाज पूरी तरह से स्टाफ नर्स के भरोसे पर है। मरीजों की जांच के लिए मशीनें तो हैं लेकिन उन्हे चलाने वाले कर्मचारी नहीं है। ऐसे में जांच के लिए लगायी गयी मशीनें धूल फांक रही हैं।
करनैलगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को फर्स्ट रेफरल यूनिट का दर्जा मिला हुआ है। एफआरयू दर्जा प्राप्त हॉस्पिटल में सर्जन, एनेस्थेटिक, पीडियाट्रिक व गाइनोकोलॉजिस्ट के अलावा इमरजेंसी के लिए चार-चार ईएमओ तैनात होनी चाहिए। सरकार एफआरयू को हमेशा प्राथमिकता पर रखती है। शासन का आदेश है कि एफआरयू वाली सीएचसी में किसी भी चिकित्सक का पद रिक्त नहीं होना चाहिए। लेकिन सरकार का यह आदेश एफआरयू दर्जा प्राप्त करनैलगंज सीएचसी पर लागू नहीं होता दिख रहा। यहां चिकित्सकों के 14 पद स्वीकृत है जिसके सापेक्ष यहां अधीक्षक डॉ अनुज कुमार, डॉ मोहम्मद मुदस्सिर, डॉ इमरान मोइद बालरोग विशेषज्ञ व डॉ सौम्या श्रीवास्तव की तैनाती है। डॉ सौम्या धनावा पीएचसी से सम्बद्ध हैं। एनेस्थेटिक, पीडियाट्रिक व गाइनोकोलॉजिस्ट का पद यहां रिक्त पड़ा है।
चिकित्सकों की कमी के चलते यहां आने वाले मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल रहा। खासकर महिला मरीजों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है। गाइनोकोलॉजिस्ट की तैनाती न होने से यहां महिलाओं का इलाज स्टाफ नर्स के भरोसे है। इसके अलावा यहां रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं हैं। इसकी वजह से अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता। अल्ट्रासाउंड मशीन यहां जंग खा रही है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के न होने के कारण यहां से भी मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। पांच वर्ष से चीफ फार्मासिस्ट का पद भी रिक्त है। स्वीपर, वार्ड व्वाय, ड्राईवर, एआरओ, एचईओ, जैसे महत्वपूर्ण पद भी रिक्त पड़े हैं।
सीएचसी में ओटी बनी है लेकिन सर्जन, बेहोशी के डॉक्टर व स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती न होने से बंद पड़ी है। रेडियोलोजिस्ट का पद रिक्त होने से कई मशीनें रखी धूल फांक रही है। ब्लड यूनिट की मशीने भी जंग खा रही है। चिकित्सकों के अभाव के कारण करनैलगंज सीएचसी मरीजों के बोझ से कराहती नजर आ रही है।
प्रतिदिन अस्पताल आ रहे 400 से अधिक मरीज
करनैलगंज: एफआरयू दर्जा प्राप्त इस अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार सौ मरीज इलाज के लिए आते हैं। 30 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में इलाज के इंतजाम कम पड़ रहे हैं। चिकित्सक व मेडिकल कर्मियों की कमी के चलते मरीजों को मजबूरी में गोंडा या लखनऊ लेकर भागना पड़ रहा है। बृहस्पतिवार को अस्पताल में इलाज कराने आए क्षेत्र के मसौलिया निवासी सुमिरन (60) व बसेहिया निवासी 99 वर्षीय राजाराम ने बताया कि हाथ फ्रेक्चर हो गया था, इलाज के लिए अस्पताल आए थे, लेकिन यहां हड्डी के डॉक्टर ही नहीं हैं अब गोंडा जाना पड़ेगा।
सीएचसी को इन चिकित्सकों के तैनाती की दरकार
करनैलगंज: सीएचसी में तैनात डॉ इमरान मोइद बालरोग विशेषज्ञ को छोड़कर बाकी दो चिकित्सक मेडिकल अफसर है। यहां अभी हड्डी रोग विशेषज्ञ, जनरल सर्जन, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, ईएनटी, एनेसथीसिया, नेत्ररोग विशेषज्ञ के पद रिक्त है। इस सीएचसी के अंतर्गत आने वाले चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों बरगदी, धनावा, चकरौत व कंजेमऊ पर डॉक्टरों की तैनाती नहीं है। यहां फार्मासिस्ट के सहारे मरीजों का इलाज हो रहा है।
चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के रिक्त पदों पर तैनाती के लिए कई बार पत्राचार किया गया है। लेकिन समस्या का निदान नहीं हो सका है। फिर भी जो कर्मचारी व संसाधन हैं उन्ही के सहारे कार्य किया जा रहा है- डॉ अनुज कुमार, अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करनैलगंज
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