हेलमेट, सीटबेल्ट नहीं तो बाबू, साहब की कार्यालय में नो इंट्री, कर्मचारी हों या अधिकारी, हर कोई इसके दायरे में

सड़क सुरक्षा पखवाड़ा भर शासन का निर्देश लागू

हेलमेट, सीटबेल्ट नहीं तो बाबू, साहब की कार्यालय में नो इंट्री, कर्मचारी हों या अधिकारी, हर कोई इसके दायरे में

योगेश शर्मा, बाराबंकी । यह पंद्रह दिवसीय सड़क सुरक्षा पखवाड़ा थोड़ा हटकर है। इस बार यातायात नियमों के दायरे में आमजन ही नहीं बल्कि विभागों के अधिकारी, कर्मचारी भी हैं। साफ ताकीद की गई है कि सभी विभागों में वाहन से आने वाले कर्मी पखवाड़ा भर हेल्मेट और सीट बेल्ट का प्रयोग करेंगे। पहले दिन कमी माफ कर दी जाएगी पर दूसरे दिन भी वहीं गलती दोहराई गई तो उनका प्रवेश प्रतिबंधित कर स्वत: अनुपस्थित मान लिया जाएगा। बुधवार को गांधी जयंती का अवकाश न होता तो यह आदेश लागू हो जाता, इसीलिए इसकी शुरुआत आज से होगी। बुधवार को यह आदेश सभी विभागों के मुखिया तक पहुंचा दिया गया। 

महात्मा गांधी जयंती मनाए जाने के साथ ही बुधवार से सड़क सुरक्षा पखवाड़ा का भी आरंभ हुआ है। पहले दिन सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करती रैली निकाली गई। वैसे तो यह पखवाड़ा आगामी 16 अक्टूबर तक मनाया जाएगा पर इस पखवाड़े को शासन ने सिर्फ आमजन तक सीमित न रखते हुए यातायात नियमोें के दायरे में सरकारी विभागों को भी शामिल कर लिया है। वह इस मकसद से कि जागरुक सरकारी विभागों में तैनात कर्मियों काे भी होना होगा, वह चाहे सबकी सुरक्षा और सबको यातायात नियमों का पाठ पढ़ाने वाला पुलिस विभाग ही क्यों न हो। संभव है कि इन्ही विभागों से होकर जागरुकता आमजन तक भी प्रभावी ढंग से पहुंच जाए, हालांकि सरकारी विभागों के लिए ताकीद सिर्फ पखवाड़े तक ही रखी गई है।

ताकीद यह है कि हर एक सरकारी विभाग के कार्यालय में दोपहिया, तिपहिया वाहन से पहुंचने वाला कर्मी, अधिकारी हेल्मेट व सीट बेल्ट का अनिवार्य रूप से प्रयोग करेगा। पहले दिन हेल्मेट व सीट बेल्ट न होने पर शिथिलता बरती जाएगी पर यह नियम दूसरे दिन दंडनीय रूप धारण कर लेगा। यानी दूसरे दिन भी बिना हेल्मेट व सीटबेल्ट के आने पर प्रवेश निषिद्ध करते हुए उसे स्वत: गैर हाजिर मान लिया जाएगा। निर्देश यह भी हैं कि कार्यालय दिवस में इससे संंबंधित चेतावनी सूचक बोर्ड लगवा दिया जाए। शासन के इस निर्देश के बाद हलचल शुरु हो गई है। 

पर इनकी तो कार्यशैली ही अलग

सरकारी विभागों के अफसर हों या कर्मी, इनकी कार्यशैली व हनक अलग ही रहती है। आमतौर पर यातायात नियमों से इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता। सबसे ज्यादा दबाव वाले स्थान यानी पटेल तिराहे से गुजरते समय ज्यादातर कर्मियों की यातायात सिपाहियों से परिचय बना रहता है, उस पर वाहन पर लिखा विभाग का नाम, इसलिए जल्दी इन्हे कोई नहीं रोकता। करीब सैकड़ा से अधिक सरकारी विभाग हैं और हजारों की संख्या में कर्मचारी, सरकारी काम और कोई न कोई जल्द बताकर यह खुद की सुरक्षा से मुक्ति पा लेते हैं। सुरक्षित कार्यालय पहुंचने की बात कौन करे। ऐसे में शासन का निर्देश लागू करा पाना भी कम टेढ़ी खीर नहीं होगा।

विभागों में सख्ती से लागू होगा निर्देश

जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने बताया कि शासन से निर्देश प्राप्त हुआ है, गांधी जयंती के अवकाश के बावजूद यह निर्देश आज ही सभी विभागों में भिजवाया जा रहा। कल के बाद विभागों में प्रभावी कार्रवाई शुरु कर दी जाएगी। इसके अनुपालन में ढिलाई अक्षम्य होगी।