लखनऊः ग्रेडिंग में फेल हुए आश्रम पद्धति विद्यालय, 43 विद्यालयों में एक भी A+ या A श्रेणी में नहीं 

लखनऊः ग्रेडिंग में फेल हुए आश्रम पद्धति विद्यालय, 43 विद्यालयों में एक भी A+ या A श्रेणी में नहीं 

(राजीव शुक्ला) लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश में समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित सीबीएसई के 43 आश्रम पद्धति विद्यालय ग्रेडिंग में फेल हो गए। विद्यालयों में न तो छात्रों की हाजिरी संतोषजनक मिली है और न ही अध्यापकों की। साफ-सफाई, सुरक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी यह विद्यालय फिसड्डी साबित हुए हैं। शैक्षणिक सत्र (2024-25) के पहले मूल्यांकन में इसका खुलासा हुआ है। 43 विद्यालयों में एक भी विभाग की ओर से तय मानकों को पूरा नहीं कर पाए हैं। ‘ए प्लस या ए’श्रेणी में विद्यालय नहीं आ सके हैं।

पढ़ाई की स्थिति सुधारने के लिए आश्रम पद्धति विद्यालयों में इस शैक्षणिक सत्र से ग्रेडिंग सिस्टम को लागू किया गया है। यूपी में 52 आश्रम पद्धति विद्यालय यूपी बोर्ड के हैं और 43 सीबीएसई के। दोनों बोर्डों से जुड़े विद्यालयों की रैंकिंग अलग-अलग की जानी है। सीबीएसई के 43 विद्यालयों में पिछले माह 15 अगस्त के बाद अंग्रेजी स्कूलों की तर्ज पर परीक्षा (यूनिट टेस्ट) कराए गए। परीक्षा, उपस्थिति, नवाचार समेत अन्य को लेकर ग्रेडिंग कराई गई। ग्रेडिंग में सिर्फ राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय कौशांबी और राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय झांसी ही ‘बी’ श्रेणी में आ पाए। ‘सी’ श्रेणी में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय बलिया, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय कोछाभाँवर झांसी, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय सोहावल अयोध्या, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय मोहान रोड लखनऊ, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय सलोन रायबरेली, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय सारनाथ वाराणसी और राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय पुवारका सहारनपुर रहे।

11 मानकों के आधार पर सौ नंबरों का प्रारूप
ग्रेडिंग के लिए प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में प्रत्येक विद्यालय का पांच बार मूल्यांकन किया जाएगा। पहला मूल्यांकन पहले यूनिट टेस्ट के बाद, दूसरा मूल्यांकन दूसरे यूनिट टेस्ट के बाद, तीसरा मूल्यांकन अर्द्धवार्षिक परीक्षा के बाद, चौथा मूल्यांकन तीसरे यूनिट टेस्ट के बाद होगा और पांचवां मूल्यांकन वार्षिक परीक्षा के बाद होना है। समाज कल्याण निदेशालय ने ग्रेडिंग के लिए 11 मानकों के आधार पर सौ नंबरों का एक प्रारूप तय किया है। मानकों में छात्रों और शिक्षकों की मासिक उपस्थिति के लिए दस-दस अंक, परीक्षा परिणाम के 20 अंक, नवाचार के दस अंक, यूनिट टेस्ट के दस अंक, ऑनलाइन शैक्षणिक गतिविधियों के दस अंक, क्रियाशीलता के दस अंक और सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, साफ-सफाई और सुरक्षा के पांच-पांच अंक तय किए गए हैं। इन सौ नंबरों में 80 से ऊपर वाले विद्यालयों को ए प्लस श्रेणी में, 80 से 70 अंक वालों को ए श्रेणी में, 70 से 60 नंबर वाले विद्यालयों को बी, 60 से 50 नंबर वालों को सी श्रेणी में और 50 से कम अंक वालों को डी श्रेणी में रखा गया है।

ग्रेडिंग कराई गई थी परिणाम बेहतर नहीं आए हैं। परिणामों का परीक्षण किया जाएगा और सुधार के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। शिक्षकों को सुधार करने के लिए चेतावनी दी जा रही है। 
कुमार प्रशांत, निदेशक समाज कल्याण

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