World Heart Day 2024: ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने से महिलाओं को दिल की बीमारी का खतरा अधिक

विश्व हृदय दिवस पर केजीएमयू के लारी कॉर्डियोलॉजी के विशेषज्ञों ने साझा की जानकारी

World Heart Day 2024: ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने से महिलाओं को दिल की बीमारी का खतरा अधिक

लखनऊ, अमृत विचार : ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाएं भी दिल बीमारी की चपेट में आ सकती हैं। बच्ची को भी खतरा रहता है। दिल संबंधी बीमारी और इससे बचाव के लिए महिलाओं के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से अध्ययन किया जा रहा है। इसके आधार पर गाइडलाइन तैयार की जाएगी। यह जानकारी केजीएमयू लारी कॉर्डियोलॉजी की डॉ. मोनिका भंडारी ने दी। वह शनिवार को हृदय दिवस की पूर्व संध्या लारी मेंआयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं।

उन्होंने बताया शोध में ऐसी महिलाओं को शामिल किया है, जिनमें गर्भ के दौरान हृदय रोग की समस्या है। क्योंकि इस दौरान दिल पर आतिरिक्त दबाव पड़ता है। अगर पहले से हार्ट समस्या होगी तो गर्भ के दौरान और समस्या बढ़ जाएगी। जो जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा है। इसी को लेकर प्रोटोकॉल तैयार करने की कोशिश कर रहे है। ताकि दिल की बीमारी से जूझ रही महिलाओं और बच्चों दोनों को बचाया जा सके। जिसमें मेडिसिन से लेकर सर्जरी तक शामिल है। डॉ. ऋषि सेठी ने बताया कि दिल की बीमारी से दुनियां में सबसे ज्यादा मौतें हो रही है। इसलिए राइट टाइम पर राइट एक्शन लेने से मरीज की आने वाले जिंदगी करीब-करीब सामान्य हो जाती है। नियमित चेकअप भी कराते रहना चाहिए।

दिल की बीमारी से बचने के लिए अपनाएं ए, बी, सी, डी और ई फॉर्मूला
लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. अक्षय प्रधान ने बताया ए, बी, सी, डी और ई के फार्मूले को अपनाकर हम दिल की बीमारी का खतरा 40 से 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। यदि बीमारी हो गई है तो भी इस फॉर्मूले को अपनाकर सामान्य दवाओं से काबू आ सकती है। इसके तहत ए का मतलब एल्काहोल से किनारा। बी का अर्थ है ब्लड प्रेशर काबू में रखें। सी का तात्पर्य कोलेस्ट्रॉल कम रखें। सी का मतलब सिगरेट पीने से बचें। डी का अर्थ डायबिटीज और डायट पर नियंत्रण रखें। ई का मतलब एक्सरसाइज करें। डॉ. शरद चंद्रा ने बीमारी से बचने के लिए मोटापे पर काबू रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कार्डियक अरेस्ट में तत्काल सीपीआर देने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। सभी को सीपीआर देने का तरीका पता होना चाहिए।

बच्चों में हार्ड अटैक-कार्डियक अरेस्ट
अमूमन बच्चे की अचानक से मौत होने पर लोग हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का कयास लगाने लगते हैं। ऐसे में कयास लगाना सही नहीं है। इससे लोगों में डर फैलता है। ये बातें सिविल अस्पताल के सीएमएस एवं वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने विश्व हृदय दिवस के अवसर पर कही। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को यह दिवस मनाया जाता है। डॉ. राजेश के मुताबिक अगर बच्चे को जन्मजात समस्या न हो तो बच्चों में आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट या हार्ड अटैक नहीं आता है। जन्म से ही कुछ हृदय समस्याएं होती हैं, जिससे बच्चों में कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। लंबे क्यूटी सिंड्रोम एक स्वास्थ्य समस्या है। जिससे दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। अगर इसका इलाज सही समय पर न हो, तो व्यक्ति की अचानक मौत हो सकती है।

जानिए हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर
डॉ. राजेश ने बताया हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में बहुत ही मामूली सा अंतर है। हार्ट अटैक तब होता है, जब हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या अवरुद्ध हो जाता है। यह रुकावट आमतौर पर हृदय (कोरोनरी) धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों के जमाव के कारण होती है। वहीं, कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है। यह दिल की इलेक्ट्रिकल प्रणाली में किसी समस्या की वजह से होता है।

लक्षण
- सांस लेने में दिक्कत होना।
- सीने में अचानक से तेज दर्द।
- चलते समय सीने में दर्द सा होना।- चक्कर आना।

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