बस दावे करती रह गई सरकार, बारिश की मार झेल रहे किसान
लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश में 9 से 12 सितंबर के बीच बारिश और बाढ़ से बर्बाद फसलों का बीमा कंपनियां सर्वे नहीं कर पाई हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत प्रभावित किसानों ने निर्धारित समय 72 घंटे के अंदर टोलफ्री नंबर पर शिकायत करके व्यक्तिगत दावे कर दिए थे।
टोलफ्री नंबर केंद्रीय है। इस कारण कृषि विभाग के पास कॉल और व्यक्तिगत दावों का ब्योरा नहीं है। जिन जिलों में सर्वे समय पर किया गया उसकी कंपनियों ने रिपोर्ट नहीं दी है। बारिश और बाढ़ से सबसे ज्यादा फसलें झांसी, आगरा व चित्रकूट मंडल में प्रभावित हुईं थी। यहां के बीमा कराने वाले किसान क्षतिपूर्ति की आस लगाए बैठे हैं। उपनिदेशक फसल बीमा एवं सांख्यिकी उमाशंकर सिंह ने बताया कि केंद्र से कॉल व बीमा कंपनियों से जिलेवार सर्वे रिपोर्ट मांगी है। सभी जिलों के उपनिदेशक को जल्द सर्वे कराने के निर्देश दिए गए हैं।
80 फीसद किसान को नहीं तो सरकार को करना होगा वापस
दरअसल, व्यक्तिगत दावा करने पर कंपनियों को 15 दिन में सर्वे करके जितना नुकसान उतनी क्षतिपूर्ति किसानों को देय होती है। इसमें कंपनियां खुद का नुकसान समझकर दावे निरस्त कर देती हैं और सर्वे में फसल बर्बाद नहीं दिखातीं है। अब बदली गाइडलाइन के मुताबिक नुकसान होने पर कंपनियों को क्लस्टर के कुल प्रीमियम क्लेम के रूप में 80 फीसद किसानों को भुगतान करना अनिवार्य है, नहीं तो सरकार को वापस करना है। इसके अलावा यदि 110 फीसद से अधिक नुकसान होता है तो सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
करना होगा सर्वे, कंपनियां नहीं कर पाएंगी खेल
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लागू नये नियमों के आगे बीमा कंपनियां व्यक्तिगत दावा बचाने के लिए निरस्त करके सर्वे में खेल नहीं कर पाएंगी। टोलफ्री नंबर पर दर्ज शिकायतें सीधे केंद्र से कंपनियों को सर्वे के लिए दी गई हैं। सभी का क्षेत्रों में जाकर सर्वे करके रिपोर्ट देनी है। इसकी मॉनीटरिंग करने के साथ किसानों से फीडबैक लिया जाएगा। कार्रवाई से बचने के लिए सर्वे में कंपनियों को देरी हो रही है।
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