अयोध्या में तिरुपति का लड्डू खाए भक्तों के लिए पंचगव्य का स्टाल लगवाएंगे शंकराचार्य, कहा- हमारा आंदोलन सिर्फ देसी गायों के लिए है

जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद ने क्षीरेश्वरनाथ में पूजन के बाद गो प्रतिष्ठा आंदोलन का किया आगाज

अयोध्या में तिरुपति का लड्डू खाए भक्तों के लिए पंचगव्य का स्टाल लगवाएंगे शंकराचार्य, कहा- हमारा आंदोलन सिर्फ देसी गायों के लिए है

अयोध्या, अमृत विचार। जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को अयोध्या से गो प्रतिष्ठा आंदोलन की शुरुआत की। क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में भोलेनाथ का अभिषेक किया। इसके बाद रामकोट की परिक्रमा करते हुए वह चारु शिला मंदिर में धर्म ध्वज स्थापित करने के लिए पहुंचे। इस दौरान उनके साथ बड़ी संख्या में साधु-संतों की टोलियां और श्रद्धालु मौजूद रहे। 

उन्होंने ऐलान किया कि रामलला हम आएंगे, लेकिन तभी जब गाय को राष्ट्रमाता घोषित कराएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तिरुपति लड्डू को प्रसाद के रूप में खा चुके हिन्दू समाज के लोग ग्लानि का अनुभव कर रहे हैं। उसे मिटाने के लिए पंचगव्य प्राशन की व्यवस्था की गई है। हमारे गो सेवक सन्तोष दुबे के नेतृत्व में अयोध्या में आगामी मंगलवार को पांच प्रमुख स्थानों पर पंचगव्य प्राशन के स्टाल लगाए जाएंगे, ताकि सहजता से अयोध्या के वे लोग पञ्चगव्य प्राशन कर अपने हृदय की ग्लानि को मिटा सकें। इसके बाद देश भर में स्टाल लगवाएंगे।

आंदोलन की शुरुआत करने से पहले जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद ने सुबह अवधपुरी कॉलोनी स्थित एक होटल में धर्म सभा का आयोजन किया। पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमारे देश में गाय को गौ माता के रूप में पूजा जाता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस देश में गाय की पूजा की जाती है वह दुनिया में गौ मांस का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। हम चाहेंगे की देश की सरकारें इन सब बातों पर गौर करें और गायों की हत्या पर रोक लगाए। हमारी यह यात्रा देश के अलग-अलग अंचलों से होकर गुजरेगी। इस धर्म सभा में हनुमान गढ़ी के महंत धरमदास, महंत दिलीप दास त्यागी, सीताराम चरणदास, अवधेष शरण, सहित हनुमान गढ़ी के कई नागा साधुओं ने हिस्सा लिया।

जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा में निमंत्रण नहीं मिला, उन्हें भी सम्मानित करेंगे 

जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया। गोलियां खाई उनको वो सम्मान नहीं मिला। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया नहीं गया। आने वाले दिनों में हम रामनगरी में ही अयोध्या वीर सम्मान कार्यक्रम का आयोजन करेंगे, जिसमें आंदोलन से जुड़े सभी लोगों को सम्मािनत किया जाएगा। 

नागालैंड में गो हत्या का समर्थन कर रही है सरकार 

शंकराचार्य ने कहा कि हमने कभी देश के किसी भी पार्टी का विरोध या समर्थन नहीं किया। फिर भी हमारी छवि भाजपा या अन्य पार्टी विरोधी बनाई जाती रही है। हां, हमने भाजपा के कुछ मुद्दों का विरोध किया हैं क्योंकि उन विषयों पर पार्टी और उनके नेताओं द्वारा हिन्दू धर्म के प्रति बड़ी क्षति की जा रही थी। 

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ताजा मामला देख लें गो हत्या के समर्थन का है। हम जब गोरक्षा/गोप्रतिष्ठा की बात को लेकर देश के सभी राज्यों के राजधानी की यात्रा कर रहे हैं तो नागालैंड में भाजपा लिखित रूप से न केवल उसका विरोध कर रही है बल्कि अपनी सरकार के कैबिनेट से हमारे नागालैंड प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रही है। 

लिखित रूप से गो हत्या का समर्थन कर रही है। यही नहीं, भाजपा के सत्ता में रहते ही भारत विश्व के गोमांस निर्यातक देशों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अरुणाचल में हमारी यात्रा का विरोध करने वाला छात्र नेता कह रहा है कि शंकराचार्य गो हत्या रोकने के लिए अरुणाचल से पहले उत्तर प्रदेश जाएं। आंकड़ों के अनुसार देश का सबसे बड़ा गोमांस निर्यातक प्रदेश है।

इसलिए हम भाजपा सहित उन तमाम पार्टियों का विरोध करने के लिए बाध्य हैं जो सत्ता में रहकर भी गोहत्या रोकने के बजाय उसे बढ़ावा दे रही हैं। अब समय आ गया है कि हर हिन्दू गो माता के प्राण और उनकी प्रतिष्ठा को बचाने का लिए गोमतदाता बने। अब मतदाताओं को उसी पार्टी और प्रत्याशी को मतदान का संकल्प लेना होगा जो गो माता के प्राण और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए शपथ पूर्वक घोषणा कर चुका हो।

राम मंदिर में बने गोशाला, उसी के घी-दूध से बने प्रसाद 

मंदिरों की चढ़ोतरी से मंदिरों में विराजमान देवता की सेवा से बचे पैसों से लोक कल्याण के कार्य होने उचित हैं। उनमें सबसे पहले जैसे घर में पहली रोटी गाय की होती है वैसे ही पहली सेवा गाय की होनी चाहिए। हर मन्दिर की गोशाला होगी तो न केवल आस-पास के लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि शुद्ध दूध, घी आदि भी मिलेगा और उनके गोबर गोमूत्र आदि से उगाए गये शुद्ध अनाज से लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक होगा। तिरुपति मन्दिर को इसकी पहल करनी चाहिए और आगे से अपनी गोशाला के घी से ही भगवान के नैवेद्य का लड्डू बनाना चाहिए। राम मंदिर में भी गोशाला की व्यवस्था होनी चाहिए।  

26 को बांके बिहारी में दर्शन के बाद यात्रा का समापन 

शंकराचार्य ने बताया कि रामकोट की परिक्रमा कर रामलला से गोरक्षा सामर्थ्य का आशीर्वाद लिया है। लखनऊ होते हुए देश के सभी प्रदेशों की राजधानियों में गो प्रतिष्ठा ध्वज फहराते हुए 26 अक्टूबर को वृंदावन में श्रीबांके बिहारी जी का दर्शन कर इस यात्रा का समापन करेंगे।

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