पीलीभीत: अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में भी पीटीआर के बाघ मित्र मॉड्यूल की गूंज

सिखाई जा रही टाइगर ट्रेकिंग की बारीकियां

पीलीभीत: अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में भी पीटीआर के बाघ मित्र मॉड्यूल की गूंज

सुनील यादव, पीलीभीत, अमृत विचार। तराई की गोद में बसे पीटीआर में बाघों की सुरक्षा व निगरानी को लेकर किया गया छोटा सा अभिनव प्रयोग आज बाघ मित्र मॉड्यूल के रूप में  विस्तार लेता नजर आ रहा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मुफीद साबित हो रहा पीटीआर का बाघ मित्र मॉड्यूल अब बिजनौर के अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में भी लागू हो चुका है। बिजनौर के चयनित बाघ मित्रों को पीटीआर के बाघ मित्रों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अफसरों की मानें तो बाघमित्र मॉड्यूल महज अमानगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए ही नहीं बल्कि पूरे बिजनौर में मुसीबत बने तेंदुए से छुटकारा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। बाघ मित्र मॉड्यूल अब तक पांच वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में लागू हो चुका है।

बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी में पीलीभीत टाइगर रिजर्व का बाघ मित्र मॉड्यूल खासा मुफीद साबित होता नजर आ रहा है। जंगल से बाहर निकले बाघ-तेंदुओं की सटीक जानकारी देने में महारत हासिल कर चुके पीटीआर के बाघ मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुबान पर रच बस चुके हैं। इधर बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष में काफी हद तक कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पीटीआर के बाघ मित्रों ने सफलता की ऐसा कहानी गढ़ी कि अब मानव-वन्यजीव संघर्ष से जूझ रहे अन्य टाइगर रिजर्वों में इसे लागू किया जा रहा है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में मिली सफलता के बाद इस बाघ मित्र मॉड्यूल को कर्तनिया वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, दक्षिणी खीरी वन प्रभाग, उत्तरी खीरी वन प्रभाग (दुधवा टाइगर रिजर्व का बफर एरिया) में लागू किया जा चुका है। इसके अलावा बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी इस मॉड्यूल से प्रोत्साहित होकर जंगल वालंटियर्स रखे गए हैं। बिहार के इन जंगल वॉलंटियर्स को भी पीटीआर के बाघ मित्रों ने प्रशिक्षित किया है। राजस्थान के रणथंभौर से आई टीम भी पीटीआर के बाघ मित्रों से वन्यजीव मैनेजमेंट सीख चुकी है। तंजानियां एवं केन्या से आए वन अफसर भी यहां आकर मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में मददगार बन रहे बाघ मित्रों से संबधित प्रोजेक्ट का अध्ययन कर चुके हैं। इधर अब पीटीआर का बाघ मित्र मॉड्यूल विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से बिजनौर के अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में लागू किया किया है। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व द्वारा चयनित किए गए बाघ मित्रों को पीटीआर के बाघ मित्रों की टीमें प्रशिक्षित कर रही है। प्रशिक्षण का सिलसिला लगातार जारी है। विश्व प्रकृति निधि के अफसरों के मुताबिक बिजनौर में तेंदुए के चलते मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है। ऐसे में यह बाघमित्र मॉडयुल सिर्फ अमानगढ़ टाइगर रिजर्व तक ही सीमित न रहकर पूरे बिजनौर के लिए मुफीद साबित होगा।

महज पांच साल में बढ़ता चला गया कारवां
पीलीभीत के  जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले लगातार सामने आने लगे।  साल दर साल बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए इसकी रोकथाम के लिए वर्ष 2019 में प्रयास शुरू किए गए थे। पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने बाघ मित्र योजना बनाते हुए जंगल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले कुछ जागरूक युवाओं को टीम में शामिल किया। विशेषज्ञों द्वारा इन युवाओं को बाघ एवं तेंदुए के पदचिन्ह और उनके व्यवहार के प्रति प्रशिक्षित किया। वर्ष 2020 आते-आते सभी वालंटियर्स ने अपनी जिम्मेदारी भलीभांति संभाल ली और अपने-अपने क्षेत्रों में जंगल से बाहर निकले बाघ-तेंदुओं की सटीक जानकारी वन महकमे को देकर अपने दायित्वों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार के मुताबिक शुरुआत में पीटीआर क्षेत्र में बाघ मित्रों की संख्या 60 रखी गई थी, जो अब बढ़कर 100 हो गई है। बाघ मित्रों की सक्रियता का ही परिणाम है कि जंगल सीमा से सटे लोग अब बाघ या तेंदुआ दिखने पर हिंसक होने के बजाय इन वन्य जीवों के व्यवहार को समझने लगे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी देखी जा रही है।

विश्व प्रकृति निधि एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रयास से तैयार किया गया बाघ मित्र प्रोजेक्ट बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी में खासा मददगार साबित हो रहा है। बाघ मित्र प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए इसके अन्य संरक्षित वन क्षेत्रों में लागू करने के साथ ही अब अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में लागू किया गया है। उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट के लागू होने से बिजनौर में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी। - डॉ. मुदित गुप्ता, प्रोजेक्ट कोआर्डीनेटर, तराई आर्कलैंड स्केप

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