गोंडा: पांच महीने से नहीं मिला 7753 रसोइयों को मानदेय, फिर भी स्कूलों में बच्चों के लिए भोजन पका रहे रसोइयां
गोंडा, अमृत विचार। परिषदीय स्कूलों में बेहद अल्प मानदेय पर काम करने वाले रसोइयों की हालत बेहद दयनीय है। इन रसोइयों को पिछले पांच महीने से मानदेय नहीं दिया गया है। प्रतिदिन काम करने के बावजूद समय पर मानदेय का भुगतान न होने से इनकी गृहस्थी बड़ी मुश्किल से चल रही है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इनके मानदेय भुगतान को लेकर उदासीन बने है।
बेसिक शिक्षा विभाग के 2610 परिषदीय स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए 7753 रसोइयां नियुक्त हैं। यह प्रतिदिन करीब दो लाख बच्चों के लिए भोजन पकाते हैं। इस काम के बदले इन्हे प्रति माह 2 हजार रुपये का बेहद न्यूनतम मानदेय दिया जाता है। स्कूलों में भोजन व्यवस्था की रीढ़ बने इन रसोइयों को मानदेय कभी समय पर नहीं मिल पाता। शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट खारिज करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी रसोइयां मानदेय के नाम पर अपना हाथ बटोर लेते हैं। लिहाजा इन रसोइयों को कभी समय से मानदेय नहीं मिल पाता। जिले में कार्यरत रसोइयों को पिछले पांच महीने से मानदेय नहीं मिला है। अप्रैल महीने में इन्हे एक हजार रुपये कि भुगतान किया गया था। इसके बाद इन्हे मानदेय नहीं दिया गया। अप्रैल महीने के आधे मानदेय के साथ मई, जुलाई व अगस्त माह का मानदेय बकाया है। मानदेय न मिलने से इनकी गृहस्थी बड़ी मुश्किल से चल रही है।
एक महीने के मानदेय का मिला बजट
रसोइयां मानदेय भुगतान के सवाल पर मध्यान्ह भोजन के जिला समन्वयक गणेश गुप्ता ने बताया कि शासन से रसोइयां मानदेय के लिए 1.56 करोड़ रुपये का बजट मिला है। इससे एक महीने के मानदेय का भुगतान हो सकता है। भुगतान की पत्रावली तैयार है। बुधवार तक रसोइयों के बैंक खाते में एक महीने का मानदेय पहुंच जायेगा।
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