प्रयागराज : मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म समाज का नैतिक और मनोवैज्ञानिक पतन

प्रयागराज : मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म समाज का नैतिक और मनोवैज्ञानिक पतन

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्ष की नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे अपराध जघन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं जो समाज के मानवीय, नैतिक और मनोवैज्ञानिक पतन की भयावह तस्वीर प्रदर्शित करते हैं। इस तरह के कृत्य ना केवल किसी एक को बल्कि संपूर्ण मानवता को शर्मसार करते हैं।

कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता की चिकित्सीय रिपोर्ट और उपचार इतिहास बहुत ही परेशान करने वाला है। यह किसी भी समझदार व्यक्ति की अंतरात्मा को झिंझोड़ सकता है। पीड़िता को लगी चोटों की गंभीरता आरोपी के कार्यों की क्रूरता और अमानवीयता को दर्शाती है। ऐसे आरोपियों के शैतानी हाथ केवल हमारी सामाजिक व्यवस्था को तहत-नहस नहीं करते बल्कि एक बच्चे की मासूमियत को भी चकनाचूर कर देते हैं, क्योंकि इस तरह के जघन्य कृत्यों का असर मासूम पीड़ितों के पूरे जीवन भर बना रहता है।

अतः कोर्ट ने न्याय हित और ऐसे अपराधियों को स्पष्ट संदेश देने के लिए याची की जमानत याचिका खारिज कर दी। उक्त आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने पुलिस स्टेशन ककवन, कानपुर नगर में आईपीसी और पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज मामले में जमानत की मांग करने वाले अभियुक्त कुलदीप की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।

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