Liver Failure के मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट के लिए बनी नेशनल गाइडलाइन, डॉ. पीयूष उपाध्याय ने निभाई अहम भूमिका

Liver Failure के मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट के लिए बनी नेशनल गाइडलाइन, डॉ. पीयूष उपाध्याय ने निभाई अहम भूमिका

लखनऊ, अमृत विचार। देश में लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों और किशोरों का अब और बेहतर इलाज हो सकेगा, गंभीर स्थिति की समय रहते पहचान होने पर उनकी जान बचाई जा सकेगी।  लिवर फेलियर के इलाज (treatment) और प्रबंधन (management) के लिए नेशनल गाइडलाइन निर्धारित की गई है। इस गाइडलाइन को बनाने में लखनऊ स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में बाल्य हेपेटोलॉजिस्ट और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट विभाग के डॉ. पीयूष उपाध्याय ने अहम भूमिका निभाई है। 

दरअसल,बच्चों और किशोरों में लिवर फेलियर के इलाज और प्रबंधन के लिए इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, हेपेटोलॉजी और न्यूट्रिशन (ISPGHAN) की तरफ से पहली नेशनल गाइडलाइन बनाई गई है। इस गाइडलाइन को बनाने में करीब 5 महीने का समय लगा है। इतना ही नहीं इस गाइडलाइन को बनाने में डॉ. पीयूष उपाध्याय उपाध्याय समेत देश विदेश के 50 विशेषज्ञ डॉक्टरों ने हिस्सा लिया है। जिन डॉक्टरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उनमें नई दिल्ली स्थित आईएलबीएस के प्रो. शिव कुमार सरीन, प्रो. सीमा आलम, डॉ. बिक्रांत बिहारी लाल, डॉ. राजीव खन्ना, डॉ. विक्रांत सूद, चेन्नई से डॉ. मो. रिले, किंग्स कॉलेज लंदन से डॉ. अनिल धवन, टेक्सास अमेरिका से डॉ. मुरेश्वर देसाई, यूनाइटेड किंगडम से डॉ. आकाश दीप, डॉ. मैरिएन, लखनऊ स्थित एसजीपीजीआईएमएस से डॉ. अंशू श्रीवास्तव और डॉ. मोइनाक एस शर्मा समेत अन्य डॉक्टर शामिल रहे हैं।

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो.सीएम सिंह ने डॉ. पीयूष उपाध्याय को इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए बधाई दी है। उन्होंने बताया है कि यह दिशानिर्देश देश की प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका “हेपेटोलॉजी इन्टरनेशनल आफ एशिया पैसिफिक सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लिवर डिजीज (एपीएएसएल) में प्रकाशित हुई है। उन्होंने बताया कि देश भर में लिवर फेलियर के प्रबंधन को मानकीकृत करने के लिए ऐसे दिशानिर्देश आज के समय की आवश्यकता हैं। इन दिशा निर्देशों के अनुपालन से लिवर फेलियर से होने वाली मृत्यु और बीमारी की दर में कमी आएगी । वहीं दूसरी तरफ इससे देश का वित्तीय बोझ भी कम होगा। यह दिशानिर्देश मरीजों की देखभाल के स्तर पर इस जानलेवा बीमारी से निपटने में देश की मदद करेंगा।

डॉ. पीयूष उपाध्याय ने बताया कि बच्चों और किशोरों में लिवर फेलियर कई कारणों से होता है, लेकिन 50 फीसदी मामलों में हेपेटाइटिस ए सबसे बड़ा कारण है, इसके अलावा लिवर फेलियर के लिए हेपेटाइटिस ई, हेपेटाइटिस बी, ऑटो इम्यून डिसऑर्डर और विल्सन रोग भी जिम्मेदार हो सकता है। 

लिवर फेलियर के लक्षण

डॉ. पीयूष उपाध्याय ने बताया कि लिवर फेलियर के लक्षणों को समय रहते पहचाना जा सकता है। यदि किसी बच्चे अथवा किशोर को पीलिया है या फिर लिवर से संबंधित कोई अन्य बीमारी है तो उस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यदि बच्चा सामान्य से अधिक या कम सो रहा है, वह सुस्त रहता है, चिड़चिड़ापन अधिक है, उसे नींद से जगाना मुश्किल है, शरीर में अकड़न हो रही हो, बेहोशी है तो इसका मतलब है कि पीलिया की वजह से लिवर फेलियर हो रहा है। ऐसे में बच्चे को तत्काल चिकित्सीय देखभाल की जरूरत होती है। 

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