छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा प्रशासन ने NMDC पर 1620 करोड़ रुपये का लगाया जुर्माना, कंपनी ने कहा- कार्रवाई अनुचित 

छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा प्रशासन ने NMDC पर 1620 करोड़ रुपये का लगाया जुर्माना, कंपनी ने कहा- कार्रवाई अनुचित 

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जिला प्रशासन ने खनन कानूनों के कथित उल्लंघन के लिए राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) पर 1620.49 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। केंद्र सरकार की कंपनी एनएमडीसी का खनन कार्य बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल और बचेली क्षेत्र में बैलाडीला पहाड़ियों पर चल रहा है। 

जिला प्रशासन के इस कदम को एनएमडीसी ने 'पूरी तरह से अनुचित' करार दिया है और दावा किया है कि मामले में तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार किए बिना जुर्माना लगाया गया है। दंतेवाड़ा के जिलाधिकारी मयंक चतुर्वेदी ने 29 अगस्त को एनएमडीसी को लिखे पत्र में 15 दिन के भीतर जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया है।

पत्र में कहा गया है कि दंतेवाड़ा जिले की बचेली तहसील के अंतर्गत किरंदुल गांव में 322.368 हेक्टेयर क्षेत्र में डिपॉजिट संख्या 14 एमएल, 506.742 हेक्टेयर क्षेत्र में डिपॉजिट संख्या 14 एनएमजेड और 874.924 हेक्टेयर क्षेत्र में डिपॉजिट संख्या 11 के लिए लौह अयस्क खनन पट्टे एनएमडीसी को स्वीकृत किए गए हैं। 

इसमें कहा गया है, “इससे पहले जिला प्रशासन द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर एनएमडीसी द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं था। इसलिए, एनएमडीसी ने छत्तीसगढ़ खनिज (खनन परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 के नियम (4) (1) का उल्लंघन किया है।” पत्र के अनुसार, “इस उल्लंघन के लिए छत्तीसगढ़ खनिज (उत्खनन, परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 के नियम (5) और खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 21 (5) के तहत खनिज के बाजार मूल्य और रॉयल्टी के आधार पर कुल 16,20,49,52,482.00 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।” 

कारण बताओ नोटिस के बारे में जानकारी के लिए संपर्क करने पर चतुर्वेदी ने कोई जवाब नहीं दिया। जुर्माने पर प्रतिक्रिया देते हुए एनएमडीसी ने एक बयान में कहा, ''दंतेवाड़ा के जिलाधिकारी ने रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए 1620.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया है और इस तरह विभिन्न खनन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।” 

एनएमडीसी ने कहा, "यह सम्मान पूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि वर्तमान मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार किए बिना केवल आंख मूंदकर जुर्माना लगाना पूरी तरह से अनुचित है।'' कंपनी ने कहा, ''एनएमडीसी लिमिटेड वैध खनन पट्टे, अनुमोदित खनन योजना, सीटीओ (संचालन की सहमति), सीटीई (स्थापना की सहमति), पर्यावरण मंजूरी और केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी के साथ काम कर रही है। 

छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन और भंडारण) नियम, 2009 के नियम दो और उप नियम एक (डी) के अनुसार, किरंदुल कॉम्प्लेक्स, एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा खनिज-ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से राज्य सरकार को जमावार, ग्रेडवार और उत्पादवार अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान किया जा रहा है और अग्रिम रॉयल्टी के भुगतान के बाद, ई-परमिट नंबर तैयार किए जा रहे हैं।'' एनएमडीसी ने कहा, ''चूंकि, एनएमडीसी अग्रिम रॉयल्टी भुगतान कर रहा है, इसलिए किरंदुल कॉम्प्लेक्स ने रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए खनन नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है। 

राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन अभिलेखों का सत्यापन करती है और उसने अब तक एक भी आपत्ति नहीं उठाई है, जिससे पता चलता है कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।'' कंपनी ने कहा, ''तकनीकी रूप से लौह अयस्क ग्रेड को अंतिम रूप देने में समय लगता है, जिससे रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) बनने में दो-तीन दिन की देरी होती है। हालांकि, इससे राज्य के खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है। एनएमडीसी इस संबंध में जिलाधिकारी के समक्ष एक उपयुक्त जवाब प्रस्तुत करेगी।'' 

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