हल्द्वानी: पुलिस कोर्ट से वक्त मांगती रही, वक्त क्यों चाहिए कोर्ट को बता नहीं पाई

हल्द्वानी: पुलिस कोर्ट से वक्त मांगती रही, वक्त क्यों चाहिए कोर्ट को बता नहीं पाई

हल्द्वानी, अमृत विचार। बनभूलपुरा हिंसा के 50 आरोपियों की एक साथ जमानत हो गई और इन जमानतों के साथ जेल में बंद अन्य आरोपियों की जमानत का रास्ता भी खुल गया है। आरोपियों न सिर्फ जमानत मिली, बल्कि हाईकोर्ट ने पुलिस पर बेहद तल्ख टिप्पणी की। हाईकोर्ट की सभी टिप्पणियां पुलिस की घोर लापरवाही को उजागर करती हैं। 

इस मामले से जुड़े एक अधिवक्ता ने बताया कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन का समय होता है। एक्ट कहता है कि न्यायालय इस अवधि को 120 दिन तक बढ़ा सकती है, लेकिन समय बढ़ाने का पुलिस के पास उचित आधार होना चाहिए। अब 90 दिन के बाद पुलिस ने समय बढ़ाने के लिए आवेदन किया, उसमे कहाकि हमें बयान लेना, असलहा एफएसएल भेजने हैं और कुछ डाटा जुटाने हैं।

इस पर कोर्ट ने कहाकि क्या बीते 90 दिनों में यह सब आपके पास नहीं था। आपको किसने रोका था कि असलहा आप एफएसएल न भेजो। आपको किसने रोका था कि बयान न लो, जबकि ज्यादातर आपके सरकारी गवाह हैं और सरकारी गवाह तो कहीं नौकरी छोड़ कर भी नहीं जाता। फिर ऐसे में बयान क्यों नहीं लिए गए। 90 दिनों में जांच अधिकारी ने केवल 8 लोगों के बयान लिए। ऐसे में आपने समय बढ़ाने का जो कारण दिया है, वह उचित नहीं है। 

उन्होंने बताया यूएपीए में कोर्ट समय 180 दिन तक बढ़ा सकती है, लेकिन धीरे-धीरे। ऐसा नहीं है कि कोर्ट यूएपीए में 180 दिन का समय एक साथ दे दे। कोर्ट यह देखती है कि क्या आधार और किस बात पर समय मांगा जा रहा है। क्योंकि जेल में बंद व्यक्ति को भी जमानत का अधिकार है।

समय इस तरह बढ़ाया जा सकता है कि पुलिस को मुंबई और पाकिस्तान जाकर जांच करनी थी, लेकिन बनभूलपुरा हिंसा से जुड़े सभी आरोपी और गवाह स्थानीय थे। यदि यह घटना आतंकवादी संगठन से जुड़ी होती तो भी समय बढ़ सकता था, लेकिन ऐसा भी नहीं था। कोर्ट ने कहा, सभी आरोपी नार्मल लोग हैं। एकत्र होकर पत्थर और आगजनी कर दी। फिर बयान लेने में समय क्यों लगाया।  

बरामद असलहे 45 दिन लेकर बैठी रही पुलिस
 शुरुआती तीन महीने में केवल आठ सरकारी गवाहों और चार सार्वजनिक गवाहों के बयान दर्ज किए गए। इतना ही नहीं पुलिस ने जो जिन हथियारों को बरामद किया, उन्हें 45 दिनों अपने पास ही रखा। केवल एक अप्रैल 2024 को एफएसएल भेजा गया और 16 अप्रैल को जब्त किए गए सामान को 18 मई को भेजा गया, जब 90 दिनों की अवधि समाप्त हो चुकी थी। 

पुलिस ने कहा, यह कार्य पूरे होने बाकी
यूएपीए के प्रावधानों को लागू करने के बाद अभियोजन पक्ष ने प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी की अदालत में जांच की प्रगति को स्पष्ट करते हुए एक आवेदन प्रस्तुत किया गया। आवेदन में यह भी तर्क दिया गया है कि आगे की जांच अभी पूरी नहीं हुई है, क्योंकि निम्नलिखित कार्य अभी पूरे होने बाकी हैं, जो इस प्रकार हैं:-

1. पुलिस टीम को लगी चोटों की पूरक रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है।
2. आधिकारिक गवाहों के बयान दर्ज करना।
3. सीसीटीवी टीम के सदस्य का बयान।
4. गिरफ्तारी और बरामदगी करने वाली टीम का बयान।
5. सर्विस रिवॉल्वर और कारतूस की बरामदगी अभी बाकी है। 
6. फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट का इंतजार है।
7. अभियोजन पक्ष की मंजूरी का इंतजार है।
8. अन्य साक्ष्य अभी एकत्र किए जाने हैं।
9. जांच अधिकारी ने अपीलकर्ता-आरोपी की 28 दिन की रिमांड मंजूर करने की प्रार्थना की।

अब्दुल मलिक की जमानत पर शुरू हुई सुनवाई
हाईकोर्ट में बनभूलपुरा दंगा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत पर गुरुवार को सुनवाई शुरू हो गई है। शुक्रवार को सुनवाई जारी रहेगी।  

न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ में आरोपी के जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सरकार ने जमानत याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ यूएपीए जैसे गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हैं। इसलिये सिंगल बेंच सुनवाई नहीं कर सकती है। इस पर डबल बेंच को सुनवाई करनी चाहिए।

आरोपी की ओर से कहा गया कि एनआईए एक्ट के अनुसार यदि इस प्रकरण की जांच एनआईए करती तो खंडपीठ को सुनवाई का अधिकार होता। जबकि इस मामले की जांच प्रदेश पुलिस कर रही है तो इसे सिंगल बेंच को सुनने का अधिकार है। मामले में आज आरोपी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने अपना पक्ष रखा।

कुछ लोगो की जमानत याचिका इसी एकलपीठ मे लगी थी। एकलपीठ ने उन्हें कोई राहत नही देते हुए उनका मामला भी उसी खण्डपीठ को भेज दिया है। जहां से 50 लोगो की बेल हुए थी।