Kanpur: सीएनजी चालित सिटी बसों की उम्र हुई पूरी; बनीं गले की हड्डी बनी, चल सकतीं न बिक सकतीं

Kanpur: सीएनजी चालित सिटी बसों की उम्र हुई पूरी; बनीं गले की हड्डी बनी, चल सकतीं न बिक सकतीं

कानपुर, अमृत विचार। सीएनजी चालित सिटी बसों की उम्र पूरी हो चुकी हैं, रोडवेज इनकी नीलामी प्रक्रिया शुरू करने वाला था, लेकिन इन बसों पर लाखों रुपये टैक्स बकाया होने से मामला फंस गया है। जब तक पूरा टकै्स नहीं जमा होगा, आरटीओ का कंप्टयूर सिस्टम बसों का पंजीयन (आरसी) निरस्त नहीं कर सकता है।

रोडवेज ने पहले चरण में 35 सिटी बसों का पंजीयन निरस्त mकरने के लिए आरटीओ को पत्र भेजा है। लेकिन जांच में पता चला कि इन बसों पर काफी टैक्स बकाया है। वाहन पर कोई टैक्स या चालान की जुर्माना राशि बकाया नहीं होने के साथ ही बीमा, प्रदूषण तथा फिटनेस प्रमाणपत्र देखकर ही आरटीओ पंजीयन रद करने की कार्यवाही करता है।

लेकिन सिटी बसें ये मानक पूरे नहीं हैं। इस कारण आरटीओ का कंप्यूटर सिस्टम बसों की आरसी निरस्त नहीं कर रहा है। जब तक आरसी निरस्त नहीं होगी, ये बसें न तो काटी जा सकती हैं और न ही इनको नीलाम किया जा सकता है। उम्र पूरी होने के कारण इन बसों को रुट पर भी नहीं चलाया जा सकता है।

शहर को वायु प्रदूषण मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने जेएनएनयूआरएम योजना के तहत सीएनजी चालित 270 सिटी बसें सौंपी थीं। इनमें 20 लो फ्लोर बसें भी थीं जिनमें 10 एसी और 10 नान एसी बसें थीं। इन बसों को चलाने के लिए प्रशासन ने कानपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सविर्सेज लिमिटेड कंपनी बनाई है। अब अपनी उम्र पूरी करने वाली बसों का पंजीयन संभागीय परिवहन विभाग सेरोडवेज निरस्त कराना चाहता है, ताकि इन बसों की नीलामी हो सके लेकिन ये बसें विभाग के गले की हड्डी बन गई हैं।

ई-बसों को मिलेगा फजलगंज डिपो

फजलगंज डिपो से कभी रोडवेज की बसें पूरे प्रदेश में जाती थीं लेकिन सिटी बसों के आने पर इस डिपो को चुन्नीगंज बस अड्डे में वर्कशाप खाली कराकर वहां शिफ्ट कर दिया गया और फजलगंज डिपो को सिटी बसों का डिपो बना दिया गया। अब फजलगंज डिपो को ई बसों का डिपो, चार्जिंग सेंटर बनाने की योजना है। आधे डिपो पर ई बसों ने कब्जा करके बसों की चार्जिंग शुरु कर दी है। सिटी बसों के नीलाम होने के बाद पूरा डिपो ई बसों के पास चला जायेगा। 

रोडवेज ने 35 सिटी बसों के कागजात सौंपे हैं, जिनके पंजीयन निरस्त होने हैं। लेकिन टैक्स बकाया समेत अन्य कमियों के कारण आरटीओ का कंप्यूटर सिस्टम बसों को प्रक्रिया में नहीं ले रहा है। -आलोक कुमार सिंह, सहायक संभागीय परिवहन अधिकार

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