बाराबंकी: सरकारी एजेंसी पर गेहूं और धान बेचने वाले भी ले रहे मुफ्त राशन, ऐसे अपात्र लोगों पर हो सकती है ये बड़ी कार्रवाई!

12460 लखपति किसानों का पकड़ में आया डाटा, अब राशन कार्ड निरस्त करने की चल रही तैयारी

बाराबंकी: सरकारी एजेंसी पर गेहूं और धान बेचने वाले भी ले रहे मुफ्त राशन, ऐसे अपात्र लोगों पर हो सकती है ये बड़ी कार्रवाई!

रीतेश श्रीवास्तव/बाराबंकी, अमृत विचार। केंद और प्रदेश सरकार की मुफ्त राशन योजना का अपात्र जमकर लाभ उठा रहे हैं। नेशनल इन्फर्मेशन सेंटर (एनआईसी) के पोर्टल से जब मिलान हुआ तो जिले के साढ़े बारह हजार ऐसे लखपति किसान चिह्नित हुए जो मुफ्त का राशन ले रहे थे। इन किसानों का अब राशन कार्ड निरस्त करने की तैयारी चल रही है। यह वह अपात्र किसान हैं जो हर वर्ष अपने खेतों में गेहूं और धान तैयार कर सरकारी क्रय केंद्रों पर बेच कर सरकार के समर्थन मूल्य का लाभ उठाते हैं। इनके पास पांच एकड़ से अधिक सिंचित जमीन हैं। इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राशन कार्डधारकों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जिले में संचालित 1387 कोटे की दुकानों से कुल 6,38,960 राशनकार्डों के सापेक्ष 26 लाख 29 हजार 296 यूनिटों को प्रत्येक माह राशन दिया जाता है। एक यूनिट पर तीन किलो चावल और दो किलो गेंहू दिए जाने का नियम है। पिछले दिनों शासन के निर्देश पर मुफ्त राशन लेने वाले कार्ड धारकों और सरकारी क्रय केंद्रों पर अनाज बेचने वाले किसानों की सूची का मिलान कराया गया। तो यह गड़बड़झाला सामने आया। जिसमें 12 हजार 460 अपात्र किसान हर माह गरीबों का राशन ले रहे थे। इन किसानों ने अपनी कृषि योग्य भूमि दो हेक्टेयर से अधिक घोषित कर रखी है। इस कृषि योग्य भूमि में होने वाली उपज को सरकारी केंद्रों पर बेचकर खातों में सरकारी समर्थन मूल्य भी लिया है। इसके बाद भी यह लोग मुफ्त का राशन उठा रहे थे।

एनआईसी पोर्टल से राशन कार्ड धारकों और सरकारी केंद्रों पर अनाज की बिक्री करने वालों की सूची का मिलान किया गया। इसमें बैंक खाता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड के साथ खतौनी भी लगी होती है। आपूर्ति विभाग को आधार के माध्यम से जिले के ऐसे 12460 बड़े किसानों की जानकारी मिली। जिन्होंने दो लाख से अधिक का धान व गेहूं सरकारी केंद्रों पर बेचा है। बावजूद इसके यह किसान मुफ्त अनाज का लाभ उठा रहे थे। अब इन अपात्र किसानों के राशनकार्ड को निरस्त करने की तैयारी चल रही है।

यह है नियम 

खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में राशन कार्ड धारकों और निष्कासन के नियम तय हैं। ग्रामीण क्षेत्र में निष्कासन के तहत ऐसे परिवार जिनके पास पांच एकड़ से अधिक सिंचित जमीन है या सभी सदस्यों की आय दो लाख सालाना से अधिक है। उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल सकता। बावजूद इसके अपात्र की श्रेणी में होने के बाद भी गरीबों के अनाज पर डाका डाल रहे थे।

कोटे की रिक्त पड़ी 30 दुकानें 

जिले में ऐसी तीस सस्ते गल्ले की दुकानें रिक्त पड़ी हैं जिन पर विभाग द्वारा कार्रवाई की गई है। इनमें कुछ कोटे की दुकाने निरस्त की गई हैं तो कुछ को निलंबित किया गया है। इन दुकानों पर पंजीकृत राशनकार्ड धारकों को पास की कोटे की दुकानों से संबद्ध कर राशन दिलाया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में 102 और ग्रामीण अंचलों में 1285 कोटे की दुकानें शामिल हैं। रिक्त पड़ी 30 दुकानों पर 23 कोटे की दुकानें पिछले दो माह से रिक्त पड़ी हुई है। जबकि शेष सात दुकानें एक-एक माह से रिक्त चल रही हैं। ऐसे में यहां के राशनकार्डधारकों को राशन लेने के लिए दूसरे कोटे की दुकानों की ओर रूख करना पड़ रहा है।

एनआईसी से बड़े किसानों की सूची जारी की गई थी। उससे पता चला है कि अपात्र किसान भी योजना का लाभ उठा रहे थे। जिले के एेसे करीब साढ़े बारह हजार किसानों का डाटा सामने आया है। इन किसानों का नाम राशनकार्ड की सूची से हटाने के साथ कार्ड भी निरस्त करने की  प्रक्रिया चल रही है..., डॉ. राकेश कुमार तिवारी, जिला पूर्ति अधिकारी।