मेघवाल ने विपक्ष पर ‘क्रीमी लेयर’ पर न्यायालय की ‘टिप्पणी’ को लेकर भ्रम पैदा करने का लगाया आरोप, जानिए क्या कुछ कहा...

मेघवाल ने विपक्ष पर ‘क्रीमी लेयर’ पर न्यायालय की ‘टिप्पणी’ को लेकर भ्रम पैदा करने का लगाया आरोप, जानिए क्या कुछ कहा...

नई दिल्ली। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष पर अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के बीच ‘क्रीमी लेयर’ के संबंध में उच्चतम न्यायालय की ‘‘टिप्पणी’’ को लेकर लोगों के बीच भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि बी आर आंबेडकर के दिए संविधान में ‘क्रीमी लेयर’ का कोई प्रावधान नहीं है। 

मेघवाल ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार आंबेडकर के संविधान का पालन करेगी और एससी तथा एसटी के लिए उसमें प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था को जारी रखेगी। ‘क्रीमी लेयर’ का तात्पर्य एससी एवं एसटी समुदायों के उन लोगों और परिवारों से है, जो उच्च आय वर्ग में आते हैं।

मेघवाल ने कहा कि विपक्ष जानता है कि शीर्ष अदालत ने ‘क्रीमी लेयर’ पर महज एक ‘‘टिप्पणी’’ की है, लेकिन वह फिर भी लोगों के बीच भ्रम पैदा करने का प्रयास कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को कहा था कि ‘क्रीमी लेयर’ के आधार पर एससी और एसटी को आरक्षण देने से इनकार करने का विचार ‘‘निंदनीय’’ है।

उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार को उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के उस हिस्से को निष्प्रभावी करने के लिए संसद में एक कानून लाना चाहिए था, जो इस मुद्दे के बारे में बात करता है। मेघवाल ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर राज्य चाहते हैं, तो वे उप-वर्गीकरण कर सकते हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने क्रीमी लेयर पर कोई फैसला नहीं दिया है, यह महज एक टिप्पणी है।

उन्होंने विपक्ष को याद दिलाया, ‘‘आदेश और टिप्पणी के बीच अंतर होता है।’’ इस महीने की शुरुआत में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से व्यवस्था दी थी कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जतियों को आरक्षण दिया जाए।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बी आर गवई ने एक अलग लेकिन सहमति वाला फैसला लिखा, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने बहुमत के फैसले से कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है, ताकि अधिक वंचित जातियों के लोगों के उत्थान के लिए आरक्षित श्रेणी के भीतर कोटा प्रदान किया जा सके।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में शुक्रवार को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में प्रदत्त आरक्षण के उप-वर्गीकरण को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विस्तृत चर्चा की थी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल का मानना है कि राजग सरकार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दिए संविधान के प्रावधानों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।’’

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