कौशल विकास की स्थिति
आर्थिक विकास की अपार संभावनाओं के बावजूद देश को बेरोजगारी-रोजगार की खाई को पाटने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लिए भारत का दृष्टिकोण तेजी से विकसित हो रहे नौकरी बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए अपने युवाओं को प्रभावी ढंग से कुशल बनाने पर निर्भर करता है।
नीति आयोग के दृष्टिकोण पत्र में विकसित भारत की अवधारणा को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत को 2047 तक 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास करना होगा, जिसमें प्रति व्यक्ति आय 18,000 अमेरिकी डॉलर वार्षिक हो। गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ-साथ देश में रोजगार के मौके भी पैदा हो रहे हैं, परंतु बढ़ती शिक्षित बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। बेरोजगारी की समस्या के लिए कौशल विकास की कमजोर स्थिति को कारण माना जा सकता है।
भारत में कौशल विकास तथा बेरोजगारी की समस्या के मूल में स्कूली स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा की अनुपस्थिति तथा विभिन्न कौशल विकास योजनाओं का अप्रभावी क्रियान्वयन है। कौशल विकास को गति देने के उद्देश्य से जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी ‘स्किल इंडिया मिशन’ प्रारंभ किया था। इस कार्यक्रम ने नौ वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल किया है। फिर भी सरकार के स्किल इंडिया कार्यक्रम से भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं। कहा जा सकता है भारत के कौशल प्रयास बेहतर रोजगार परिणामों में तब्दील नहीं हो रहे हैं। ऐसे में भारत को चीन, जापान, जर्मनी, ब्राजील, सिंगापुर आदि के व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिए। इन देशों के समक्ष भी भारत के समान समस्याएं थीं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार भारत को 2030 तक लगभग 2.90 करोड़ कुशल कामगारों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा है कि कौशल विकास और शिक्षा व्यवस्था में बेहतरी की जरूरत है। सरकार ने भी वर्तमान वित्त वर्ष के बजट में रोजगार और कौशल विकास को प्रमुखता दी है। बजट में कौशल विकास और समुचित प्रशिक्षण के लिए देश की 500 बड़ी कंपनियों में हर साल 20 लाख युवाओं को इंटर्नशिप उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
ऐसे युवाओं को सरकार की ओर से वृत्ति दी जाएगी और प्रशिक्षण का खर्च कंपनियां उठाएंगी। इस प्रकार सरकार ने रोजगार सृजन और कौशल विकास के प्रयासों को उद्योग जगत से जोड़ने का प्रावधान कर महत्वपूर्ण पहल की है। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए हमें कौशल विकास पर लगातार ध्यान देना होगा।