रुद्रपुर: भूख हड़ताल पर बैठी महिला श्रमिक को बलपूर्वक उठाया

रुद्रपुर: भूख हड़ताल पर बैठी महिला श्रमिक को बलपूर्वक उठाया

रुद्रपुर, अमृत विचार। पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठी महिला श्रमिकों की हालत बिगड़ने पर आखिरकार पुलिस ने बलपूर्वक महिला श्रमिक को उठाया। जबरन उठाने की कोशिश में पुलिस व श्रमिकों के बीच धक्का-मुक्की हुई तो पुलिस ने भी हाथापाई कर स्थिति को नियंत्रित किया। जिसमें कई श्रमिक जख्मी भी हो गए। जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पिछले कई दिनों से गांधी पार्क में डॉल्फिन श्रमिकों की भूख हड़ताल चल रही है। इसमें स्वास्थ्य परीक्षण में पिंकी गंगवार की हालत नाजुक बताई गई। मंगलवार की देर रात्रि एसएसआई और महिला पुलिसकर्मियों के साथ अधिकारी गांधी पार्क पहुंचे। जहां उन्होंने काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन भूख हड़ताल पर बैठी महिलाएं नहीं मानीं। पुलिस ने महिला श्रमिक की हालत नाजुक देखते हुए बलपूर्वक सभी श्रमिकों को उठाना शुरू कर दिया। इसके चलते पुलिस व श्रमिकों के बीच धक्का-मुक्की व अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया।

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजकर व बल का प्रयोग करते हुए पिंकी गंगवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं श्रमिकों का आरोप था कि पुलिस ने आंदोलित श्रमिकों को बेरहमी से पीटा। जिसमें पिंकी गंगवार व रचना जख्मी हो गई। वहीं कई महिला श्रमिकों के कपड़े भी फट गए। उधर, धक्का-मुक्की व छीना झपटी के बीच कुछ महिला पीएसी जवान भी जख्मी हो गईं।

फिर भूख हड़ताल पर बैठे श्रमिक
मंगलवार की देर रात्रि बलपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठे श्रमिकों को उठाकर भर्ती किए जाने के बाद बुधवार की सुबह फिर आंदोलित महिला श्रमिक पुष्पा देवी, प्रेमवती देवी, रामकुमार, देव कुमार, सतपाल ठुकराल व ललित कुमार ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। साथ ही अस्पताल में भर्ती महिला श्रमिकों ने भी अन्न नहीं खाया। महज ड्रिप चढ़ाकर डॉक्टर हालत सुधारने की कोशिश में जुटे हैं।

पुतला फूंककर श्रमिकों ने जताया रोष
बल का प्रयोग करने के खिलाफ आंदोलित डॉल्फिन श्रमिकों ने पुलिस एवं कंपनी प्रबंधन का पुतला दहन कर आक्रोश जताया। बुधवार की सुबह बड़ी संख्या में आंदोलित श्रमिक गांधी पार्क प्रांगण में एकत्रित हुए। जहां उन्होंने पुलिस प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर आक्रोश जताया। उनका आरोप था कि पूंजीपतियों के इशारे पर पुलिस प्रशासन बल का प्रयोग कर लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। यदि शासन-प्रशासन चाहे तो श्रमिकों की मांगों को पूर्ण कर सकता है।

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