बदायूं: हत्या करने के दो दोषियों को आजीवन कारावास
11 साल पुराने मामले में न्यायाधीश ने गुरुवार को सुनाया फैसला
बदायूं, अमृत विचार। हत्या करने के 11 साल पुराने मामले में अपर सत्र न्यायाधीश सौरभ सक्सेना ने दो आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। एक दोषी पर 25 हजार और दूसरे पर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार कोतवाली दातागंज क्षेत्र के गांव गदरौली निवासी हरिद्वारी ने 4 जुलाई 2013 को पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि उनके गांव निवासी एक लड़की को गांव में रहने वाला हरीश भगाकर ले गया था। जिसके चलते बिना किसी कारण गांव निवासी भूरे आदि उससे रंजिश मानने लगे।
तीन जुलाई की रात लगभग साढ़े नौ बजे भूरा, वेदराम, कल्लू, राम निवास, दाताराम, राजवीर हरिद्वारी के घर पर आए। हरिद्वारी के भाई गंपति के बेटे कल्यान को तलाशने लगे। हरद्वारी का बेटा विजय सिंह पशुओं के पास सो रहा था। शोर सुनकर वह जाग गया। उन लोगों ने कहा कि यही कल्यान उर्फ कल्लू है। पकड़ लो इसे। वह कल्यान समझकर विजय को पकड़ने के लिए भागे। तमंचे से फायर किया। गोली विजय सिंह की मौके पर मौत हो गई।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जांच करने के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। पुलिस ने आरोपी राजवीर और दाताराम को दोषी माना। गुरुवार को न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करके एडीजीसी मुनेंद्र प्रताप सिंह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद दोनों दोषियों को सजा सुनाई।
पत्नी की हत्या करने के दोषी पति को आजीवन कारावास
अपर सत्र न्यायाधीश सुयश प्रकाश श्रीवास्तव ने हत्या करने के चार साल पुराने मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र के मोहम्मद नगर सुलरा निवासी दिनेश चंद्र ने थाना उसहैत पुलिस को 24 अप्रैल 2020 को तहरीर दी थी। बताया कि उनकी बहन विनीता की शादी गांव रिजोला निवासी दुर्वेश कुमार पुत्र राम बहादुर के साथ हुई थी। उस दिन दोपहर तीन बजे उन्हें सूचना मिली कि दुर्वेश कुमार ने फावड़ा से विनीता की गर्दन काटकर हत्या कर दी।
सूचना मिलने पर वह मौके पर पहुंचे थे। विनीता का खून से लथपथ शव पड़ा था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। पुलिस ने विवेचना के दौरान साक्ष्य संकलित किए। आरोपी दुर्वेश के खिलाफ चार्जशीटा दाखिल की। गुरुवार को न्यायाधीश ने उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करके एडीजीसी संजीव गुप्ता और बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद दुर्वेश को सजा सुनाई है।
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